वर्ष 2013 में प्रेमचंद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े बाबूलाल नागर के भाई हजारी लाल नागर को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2018 में निर्दलीय बाबूलाल नागर के सामने चुनाव हारे लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में चार बार के विधायक रहे नागर को 35479 मतों से करारी शिकस्त दी। प्रेमचंद ने स्नातकोत्तर के बाद पीएचडी की और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किया।
पैतृक गांव श्रीनिवासपुर में बंटी मिठाईयां
दूदू जिले के छोटे से गांव श्रीनिवासपुर में जन्मे प्रेमचंद बैरवा के उप मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पूरे गांव में जीत का जश्न शुरू हो गया। लोग प्रेमचंद बैरवा के पैतृक निवास पर पहुंचे और उनके बड़े भाई चिरंजीलाल बैरवा व उनकी बहन शांति देवी सहित परिवार के जगदीश, पुष्पा व सुनीता का मुंह मीठा कराया। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग उन्हें बधाई देने पहुंचे।
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जयपुर निवास पर जश्न का माहौल
डॉ. प्रेमचंद बैरवा के जयपुर में सुमेर नगर मुहाना मंडी रोड आवास पर घोषणा के बाद बधाई देने वालों की भीड़ लग गई। परिवार के लोग व कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। आतिशबाजी कर मिठाईयां बांटी। इस दौरान उनके परिवार के सदस्य सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। वहीं दूदू जिले भर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने बैरवा के डिप्टी सीएम की घोषणा के बाद खुशी का इजहार करते हुए जमकर आतिशबाजी की।
गांव-ढाणियों तक पहुंचे, जनता का जताया प्रेम
प्रेमचंद अपनी सादगी व हर गांव-ढाणी में बूथ लेवल तक मजबूत पकड़ के साथ चुनाव में जीत तय कर पाए। मौजूद विधायक की एंटी इनकंबेंसी का प्रेमचंद को चुनाव में खासा लाभ मिला। हालांकि उन्होंने नागर को मात देने के लिए बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं की लंबी टीम खड़ी की और हर गांव व ढाणी में पहुंचकर जनता को सुशासन का विश्वास दिलाया और इसके बाद एक ही लहर बनी कि इस बार प्रेम। यह नारा ऐसा चला कि नागर की जीत का ग्राफ गिरता गया और प्रेमचंद बैरवा जीत की तरफ बढ़ते गए।