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Putrada Ekadashi Importance संतान सुख के लिए बना शुभ संयोग, जानें पुत्रदा एकादशी की व्रत और पूजा विधि

Paush Month Ekadashi Significance Of Ekadashi In Hindi Putrada Ekadashi On 24 January 2021

जयपुरJan 24, 2021 / 10:25 am

deepak deewan

Pavitra Ekadashi 2021 Significance Of Putrada Ekadashi 2021

Pavitra Ekadashi 2021 Significance Of Putrada Ekadashi 2021

जयपुर. पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी या पवित्रा एकादशी के रूप में जानी जाती है। यह दिन विष्णुजी को समर्पित है. एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि पुत्रदा एकादशी संतान सुख के लिए सर्वश्रेष्ठ व्रत है। सावन माह में भी पुत्रदा एकादशी आती है पर पौष महीने में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी व्रत का खास महत्व है। इस बार यह एकादशी रविवार 24 जनवरी 2021 को यानि आज है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करनी चाहिए। पुत्रदा एकादशी पर नहाने के पानी में तिल मिलाकर स्नान करने की भी परंपरा है। रविवार को एकादशी होने से इस दिन सूर्य देव की पूजा भी करनी चाहिए। पौष महीने में भगवान विष्णु और सूर्य पूजा का बहुत महत्व है। एकादशी पर सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इस दौरान गायत्री मंत्र का उच्चारण करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि इस दिन सूर्यदेव के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी पर आदित्य आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें, संभव हो तो यह स्तोत्र तीन बार पढ़ें। सूर्यदेव की पूजा संपन्न होने के बाद उन्हें दोबारा जल अर्पित करें। सूर्य देव के आशीर्वाद से योग्य और यशवान संतान प्राप्त होती है। सूर्य पूजन के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं। तुलसी के समक्ष घी का दीपक लगाकर परिक्रमा भी करें। एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी जरूर चढ़ाना चाहिए पर याद रखें कि एकादशी तिथि और रविवार के दिन तुलसी तोड़ना पूर्णतः वर्जित है।
यहां तक कि तुलसी छूना भी नहीं चाहिए. तुलसी पूजन के बाद विधिविधान से भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करें। संतान के इच्छुक पति-पत्नि दोनों मिलकर भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। विष्णुजी के मंत्रों का जाप करें या पुरूष सूक्त का पाठ करें. इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। एकादशी पर विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करने से संतान सुख में आनेवाले अवरोध खत्म होते हैं. निस्संतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और संतान के दुख दूर होकर उन्हें सुख प्राप्त होेने लगते हैं।

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