अधिकारी इस तरह करते रहे अवमानना
हाईकोर्ट ने कहा था- मास्टर प्लान मामले में 12 जनवरी 2017 को दिए विस्तृत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि वर्टिकल डवलपमेंट सुनियोजित हो। शहरों में बहुमंजिला इमारतों के लिए जोनल डवलपमेंट प्लान या मास्टर प्लान में स्थान चिन्हित किया जाएं। मौजूदा कॉलोनियों में वहां रहने वालों के अधिकारों पर विपरीत असर पड़े तो ऐसी इमारतों की स्वीकृति नहीं दी जाए।ये हैं जिम्मेदार (मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद रहे अफसर)…
इन्होंने संभाला स्वायत्त शासन सचिव पद-नवीन महाजन
-सिद्धार्थ महाजन
-भवानी सिंह देथा
-जोगाराम
-महेश चंद्र शर्मा
-के.सी. मीना ये रहे नगरीय विकास विभाग के प्रशासनिक मुखिया
-भास्कर सावंत
-कुंजीलाल मीना
-टी. रविकांत इनके अलावा मंजूरी देने वाले शहरी निकायों के मुखिया भी अवमानना के दायरे में आते हैं।
जानिए किसने क्या कहा
जहां बढ़ती जनसंख्या के कारण मल्टीस्टोरी जरूरी है, वहीं यह भी जरूरी है कि उस क्षेत्र के आस-पास के स्वरूप को देखते हुए ही बहुमंजिला इमारतों को अनुमति दी जाए। बहुमंजिली इमारतों के लिए भवन विनियम बने हुए हैं। इनके लिए एनबीसी की गाइडलाइन को भी फॉलो करना चाहिए। हर क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी नहीं दी जाए। मास्टर प्लान अनुमोदन के बाद जोनल प्लान बनना चाहिए। बहुमंजिला इमारतों का जोन क्षेत्र निर्धारित कर बिल्डिंग प्लान तैयार हो। हाईकोर्ट ने कहा कि मास्टर प्लान-जोनल प्लान के अनुरूप ही निर्माण की स्वीकृति दी जाए, ताकि निर्धारित मानदंड की बहुमंजिली इमारतें बन सकें और शहर का सुनियोजित विकास हो सके। आम नागरिकों को असुविधा भी नहीं हो।-एचएस संचेती, पूर्व मुख्य नगर नियोजक
-वीएस दवे, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट