बेटी की वजह से नहीं कर पाई कई कैंप
कैंप में उदयपुर की कुमुदिनी भरावा, 40 डिग्री टेंपेरेचर में 18 माह की बेटी चित्रांशा को गोद में लिए पेंटिंग करती नजर आई। कुमुदिनी ने बताया कि दिल नहीं मानता की बेटी को दूसरी जगह छोडक़र पेंटिंग करने जाऊं। पेंटिंग बनाने का जूनून था तो साथ ले आई। बेटी को संभालना और पेंटिंग करना थोड़ा मुश्किल रहता है, लेकिन मैनेज कर रही हूं। कैंप में पति सूरज सोनी भी साथ आए है। जब वो पेंटिंग करते हैं तो मैं बेटी को संभालती हूं और जब मैं पेंटिंग करती हूं तो वो बेटी को संभालते हैं। जब वो किसी काम से बाहर चले जाते हैं, तो मैं ही दोनों काम करती हूं। उन्होंने बताया कि कई कैंप में सिलेक्शन होने के बाद भी बेटी छोटी होने की वजह से जॉइन नहीं कर पाई। कई बार बेटी मेरे को देखकर पेंटिंग करने लग जाती है। अभी विजुअल आर्ट से पीएचडी कर रही हूं। ललित कला अकादमी से स्टेट अवॉर्ड भी मिल चुका है।
बोल और सुन नहीं सकते लेकिन उकेर सकते है
जयपुर के विकास मीणा ने भी कैंप में हिस्सा लिया है। जो बचपन से बोल और सुन नहीं सकते। विकास के गाइड लोकेश ने बताया कि ये पिछले पांच साल से पेंटिंग कर रहे हैं। ये नेचर की खूबसूरती को अपने तरीके से कैनवास पर उकेर कर अपनी भावनाएं प्रदर्शित करते हैं। अब तक 100 से अधिक पेंटिंग बना चुके हैं। ललित कला अकादमी की ओर से इन्हें कला मेले में बेस्ट पेंटिंग का अवॉर्ड मिला था। विकास इसी फील्ड में कॅरियर बनना चाहते हैं।