चर्चा इस बात की है कि विधायक विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पूर्व अपने उत्तराधिकारियों को तैयार करने में जुटे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब कांग्रेस में परिवारवाद का बोलबाला रहा हो इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा नेता ऐसे हैं जिन्होंने अपने बेटे-बेटियों को चुनाव मैदान में उतार कर विधायक बनवाया।
हैरत की बात तो यह है कि इसमें कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं निर्दलीय विधायक भी पीछे नहीं है। निर्दलीय विधायकों ने भी अपने परिजनों को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा पाली से कांग्रेस के पूर्व सांसद बद्री जाखड़ ने अपने बेटी मुन्नी देवी गोदारा और पोती सोनिया को पंचायत चुनाव में उतारा है।
प्रधान-जिला प्रमुख पर नजर
सूत्रों की माने तो विधायकों की ओर से बेटे-बेटियों और निकट रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारने की वजह यह भी है की विधायकों की नजर प्रधान और जिला प्रमुख पर है। विधायकों की मंशा है कि वह अपने बेटे बेटियों या निकट रिश्तेदारों को प्रधान और जिला प्रमुख बनवाए जिससे कि जिले की राजनीति की बागडोर उनके हाथों में हो। साथ ही आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी वह खुद की जगह बेटे-बेटियों और निकट स्थित दावेदारों को चुनाव मैदान में मजबूत दावेदार के तौर पर पेश कर सकें।
विधायक जाहिदा के तीन परिजन चुनाव मैदान में
प्रदेश के 6 जिलों में हो रहे विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प नजारा भरतपुर में देखने को मिल रहा है जहां पर कामां से कांग्रेस विधायक जाहिदा खान ने अपने बेटे-बेटियों और एक अन्य निकट रिश्तेदार को चुनाव मैदान में उतारा है।
इसके अलावा बसपा से कांग्रेस में आए नदबई से विधायक जोगिंदर अवाना ने अपने बेटे को उच्चैन पंचायत से चुनाव मैदान में उतारा है। गौरतलब है कि प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, दौसा, भरतपुर, सिरोही और सवाई माधोपुर जिले में जिला परिषद और पंचायतों के चुनाव हो रहे हैं।
इन विधायकों ने उतारा वंशवाद
विधायक—————– परिजन
1-मंत्री भजनलाल जाटव— पुत्री- पुत्रवधू(2)
2-जाहिदा खान– पुत्र-साजिद, पुत्री शहनाज व निकट रिश्तेदार (3)
3-बाबूलाल नागर– पुत्र विकास नागर, पुत्रवधू रूपाली नागर (2)
4-जोगेंद्र अवाना—- पुत्र हिंमाशु अवाना (1)
5-अशोक बैरवा—— पुत्र संजय बैरवा (1)
6-दिव्या मदेरणा——- मां लीला मदेरणा(1)
7-रामकेश मीणा———पुत्रवधू (1)