यह जांच फूड डिपार्टमेंट की लेबोरेटरी में कराई गई थी, जिसमें दूध को अमानक एवं अनसेफ बताया गया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन ने बताया कि 17 नवंबर को कौथुन में गोविंद नारायण जाट की बीएमसी 0958 पर छापा मार एक पिकअप से 1000 लीटर दूध पकड़ा था। इससे लिए सैंपल की जांच में मृत कीट, रेत और गंदगी के कण पाए गए। जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष में दूध अनसेफ बताया है।
इसके बाद आईपीसी की धारा 188, 272, 273, 328 में 120बी के अंतर्गत चाकसू थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अब जयपुर डेयरी के अधिकारियों, बीएमसी और नकली/मिलावटी और सिंथेटिक दूध के सप्लायरों के बीच गठजोड़ की जांच करेगी। पुलिस यह भी जांच करेगी कि नकली और सिंथेटिक दूध डेयरी की जांच में क्यों नहीं पकड़ा जा रहा था।
मिलावटी दूध से ये नुकसान एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि जांच रिपोर्ट में साफ है कि इस दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक था। सिंथेटिक दूध में विभिन्न केमिकल, तेल और यूरिया का इस्तेमाल किया गया था। आशंका थी कि इस दूध को जयपुर डेयरी में लाकर दिया जाता। यह मिलावटी दूध स्वास्थ्य के लिए धीमे जहर का काम करता है। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार हो सकता है। किडनी, लीवर, फेफड़े और हृदय को नुकसान पहुंचता है। लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर भी हो सकता है।
एडीजी ने बताया कि 8 नवम्बर को डीग के कैथवाड़ा में एक चिलिंग प्लांट में केमिकल से बनाया गया दूध पकड़ा था। यह सिंथेटिक दूध बांदीकुई और बैजूपाड़ा की तीन बीएमसी तथा सिकराय में निजी डेयरी पर सप्लाई किया जा रहा था। निजी डेयरी से टीम ने मावा एवं पनीर भी जब्त किया। इसकी जांच रिपोर्ट भी आ गई, जिसमें दूध और पनीर सिंथेटिक पाया गया। सैंपल के दूध में विभिन्न कैमिकल, यूरिया, वनस्पति तेल, वसा, रिफाइंड तेल की उपस्थिति मिली है। पनीर अधिक नमी और कम फैट के कारण घटिया पाया गया।
नकली दूध से कैंसर का खतरा
नकली दूध में विभिन्न प्रकार के हानिकारक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें यूरिया, डिटर्जेंट, वनस्पति तेल, और अन्य केमिकल शामिल हैं। इन तत्वों के लंबे समय तक सेवन से कैंसर सहित कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
नकली दूध में यूरिया का उपयोग दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। यूरिया एक हानिकारक रसायन है जो किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। नकली दूध में डिटर्जेंट का उपयोग दूध को सफेद करने और उसे अधिक गाढ़ा बनाने के लिए किया जाता है। डिटर्जेंट एक जहरीला रसायन है जो पेट और आंतों को नुकसान पहुंचा सकता है।
नकली दूध में वनस्पति तेल का उपयोग दूध की मात्रा बढ़ाने और उसे अधिक गाढ़ा बनाने के लिए किया जाता है। वनस्पति तेल में हानिकारक ट्रांस फैट होते हैं जो हृदय रोग, कैंसर, और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
नकली दूध में अन्य केमिकल का उपयोग दूध की गुणवत्ता और स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इन केमिकल्स के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अभी भी पर्याप्त जानकारी नहीं है, लेकिन इनमें कैंसर का खतरा बढ़ने की संभावना है।
नकली दूध से होने वाले कैंसर के कुछ संभावित प्रकारों में शामिल हैं: स्तन कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर
फेफड़े का कैंसर
कोलोरेक्टल कैंसर
पेट का कैंसर
मूत्राशय का कैंसर
नकली दूध से कैंसर होने का खतरा उन लोगों में अधिक होता है जो नियमित रूप से नकली दूध का सेवन करते हैं।
नकली दूध से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं: केवल विश्वसनीय स्रोतों से दूध खरीदें।
दूध को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करें।
दूध को उबालकर या गर्म करके पीएं।
नकली दूध एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। नकली दूध से बचने के लिए सभी लोगों को जागरूक होना चाहिए।