उत्सव के तहत पर्यटकों को लुभाने एवं यहां के पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग के लिए पांच दिवसीय मत्स्य उत्सव का आगाज 25 नवम्बर को शहर स्थित जगन्नाथ मंदिर में सुबह सवा पांच बजे महाआरती से होगा तथा समापन 29 नवम्बर को शाम 6 बजे इंदिरा गांधी स्टेडियम में जावेद अली नाइट से होगा।
इस दौरान करीब डेढ़ दर्जन सांस्कृतिक, धार्मिक, खेल, प्रदर्शनी, कव्वाली गायन, मेहंदी व रंगोली प्रतियोगिता, ट्रेकिंग, ग्रामीण हाट, डांस, दौड़, यूथ फेस्टिवल आदि कार्यक्रम होंगे।
इनमें ज्यादातर कार्यक्रम इंदिरा गांधी स्टेडियम, बाला किला, जयकृष्ण क्लब, महल चौक, राजर्षि महाविद्यालय, सिलीसेढ़ व जगन्नाथ मंदिर में रखे गए हैं। यहां भी कम्पनी बाग, होपसर्कस, फतेहजंग गुम्बद, सागर, मूसी महारानी की छतरी एवं अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल आयोजकों की नजरों से ओझल रहे।
पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आगामी 25 से 29 नवम्बर तक मनाए जाने वाले मत्स्य उत्सव में कार्यक्रमों के लिए विश्व विख्यात सरिस्का बाघ अभयारण्य, तिजारा फोर्ट, नीमराणा बावड़ी, अजबगढ़ भानगढ़ एवं जिले के कई अन्य पर्यटन स्थल भी हकदार थे, लेकिन आयोजकों का फोकस अलवर शहर व कस्बों पर ज्यादा रहा। इस बार कस्बों में भी लोग उत्सव के तहत विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक झलक देख पाएंगे।
जिनके लिए विख्यात, उन पर नहीं ध्यानपर्यटन की दृष्टि से सरिस्का बाघ अभयारण्य अलवर जिला व प्रदेश ही नहीं, देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण है। सबसे ज्यादा पर्यटकों की पहुंच वाले सरिस्का बाघ अभयारण्य में सरिस्का पैलेस, टाइगर डेन, पाण्डूपोल आदि पर्यटन स्थलों पर मत्स्य उत्सव के तहत एक भी कार्यक्रम नहीं रखे गए। वहीं विश्व विख्यात अजबगढ़ भानगढ़ को तरजीह नहीं मिल सकी। तिजारा फोर्ट, नीमराणा की बावड़ी समेत जिले में कई पर्यटन स्थल भी आयोजनों की पहुंच से बाहर रहे।
सबसे मिलकर हिन्दुस्तान बनता हैमत्स्य उत्सव के लिए कलाकारों का आना शुरू हो गया है। मुम्बई के कलाकारों का एक दल रविवार को शहर में आया। सुशील अम्बेकर के निर्देशन में अविष्कार डांस ग्रुप द्वारा महाराष्ट्र की संस्कृति पर आधारित लोक नृत्य की प्रस्तुति की जाएगी। डांस ग्रुप की लीडर स्नेहल कर्दम ने ग्रुप के अन्य कलाकारों के साथ पत्रिका से सामान्य अस्पताल के सामने स्थित धर्मशाल में चर्चा की।
बातचीत में बताया कि भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है। कई राज्य हैं, जिनमें अलग-अलग भाषाएं हैं। सभी जगह की संस्कृति अलग है। खानपान अलग है। वेशभूषा अलग है। लोगों के तौर-तरीके अलग हैं। हर जगह कुछ अलग मिलता है। हर नई जगह, हर नए इंसान से कुछ सीखने को मिलता है। इन सब से मिलकर हिन्दुस्तान बनता है।
अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की पहचान है। भाषा, क्षेत्रवाद, जातिवाद, धर्मवाद सब बेकार की बातें हैं। हम सब हिन्दुस्तानी हैं। मत्स्य उत्सव जैसे आयोजन देश के हर कोने में होने चाहिए। ऐसे आयोजनों के माध्यम से संस्कृति और कला का आदान-प्रदान होता है।
राजस्थान के लोग महाराष्ट्र में होने वाले लावनी और गोंधल का आनंद ऐसे ही आयोजनों के माध्यम से उठा सकते हैं। ऐसे आयोजनों द्वारा ही प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे उत्सवों में परफॉर्म करना बहुत खुशी देता है। लोगों से खुशियां बांटने का अवसर मिलता है।
भिवाड़ी मत्स्य उत्सव आज जिले में आयोजित होने वाले मत्स्य उत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार शाम छह बजे भिवाड़ी बाइपास स्थित मॉडर्न पब्लिक स्कूल में होगा। कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों के 80 कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। यह जानकारी भिवाड़ी यूआईटी सचिव एस.एस. उदावत ने दी।
कस्बों में भी होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमइस बार मत्स्य उत्सव के उपलक्ष्य में 23 नवम्बर को भिवाड़ी, 24 को नीमराणा, 26 को खेरली, 27 को राजगढ़, 28 को बहरोड़ तथा 29 को खैरथल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा व राजस्थान के करीब 125 कलाकार प्रस्तुति देंगे।
मत्स्य उत्सव : चौराहे दुर्दशा के शिकारमोती डूंगरी तिराहाशहर के मध्य एेतिहासिक मोती डूंगरी के पास स्थित तिराहा मरम्मत के इंतजार में स्वरूप खोता जा रहा है। पुलिस अन्वेषण भवन, मोती पार्क एवं इंदिरा गांधी स्टेडियम के मध्य स्थित यह तिराहा शहर के प्रमुख मार्ग पर स्थित है, लेकिन इसकी बिगड़ी हालत पर किसी का ध्यान नहीं जा सका। तिराहे पर लगी रैलिंग उखड़ चुकी है।
विवेकानंद चौकशहर का प्राचीन विवेकानंद चौक भी इन दिनों दुर्दशा का दंश झेल रहा है। यहां साफ सफाई का अभाव है तथा तिराहे पर लगी रैलिंग भी टूटी पड़ी है। यहां विवेकानंद की प्रतिमा भी स्थित है, जहां विभिन्न प्रकार के आयोजन होते रहते हैं और विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता, राजनीतिक दलों के नेता पहुंचते रहते हैं। आला अधिकारी भी कलक्ट्रेट इसी मार्ग से जाते हैं।
कंट्रोल रूम टी प्वाइंटकलक्ट्रेट मार्ग पर कंट्रोल रूम के सामने स्थित टी प्वाइंट शहर के प्रमुख स्थलों में से एक है। यहां से बड़ी संख्या में शहरवासी ही नहीं जिले के आला अफसर भी गुजरते हैं, लेकिन यहां की समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं जा सका। टी प्वाइंट पर लगी रैलिंग टूट चुकी है।
डिवाइडर की सुन्दरता भी खोईबस स्टैण्ड से विवेकानंद चौक के मध्य घुमाव पर डिवाइडर की सौन्दर्यता भी अपना रूप खोने लगी है। धामिक भावनाओं के चलते लोगों ने डिवाइडर पर लगी रैलिंग के बीच पक्षियों को चुग्गा डाल इसे चुग्गाघर का रूप दे दिया। सफाई के अभाव में यहां की सौन्दर्यता चुग्गा घर में तब्दील हो गई है, जो राहगीरों को कचौटती है।
कई देशों के राजदूत व विदेशी सैलानीमत्स्य उत्सव के शुरुआती दौर में तत्कालीन जिला कलक्टर तन्मय कुमार ने आयोजन के प्रति विशेष रूचि दिखाते हुए कई देशों के राजदूत एवं विदेशी सैलानियों को उत्सव में बुलाया था।
इससे जिले के पर्यटन स्थलों एवं लोक कला को विदेशों तक पहुंचाने के प्रयास हुए। इसके बाद एेसे प्रयास थम से गए। नतीजतन यह आयोजन शहर एवं जिले की परिधि तक सिमट कर रह गया। इस बार भी एेसे प्रयासों की अब तक कमी खलती रही है।
भूपेन्द्र सोनी एडवोकेट ने बताया कि मत्स्य की संस्कृति तो गांवों में ही है। शहरी संस्कृति तो मिक्स हो चुकी है। अत: मत्स्य उत्सव का विस्तार गांवों तक होना ही चाहिए। स्थानीय कला और कलाकारों को इसमें सम्मान दिया जाना अच्छी पहल है। संस्कृति की पंरपरा का हस्तांतरण करने के लिए यह एक जरूरी उपाय है और इसे पूरी ईमानदारी के साथ किया जाना चाहिए।
जगदीश चंद भाटिया ने बताया कि मत्स्य उत्सव में पर्यटकों को लुभाने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा से पर्यटन स्थलों पर कार्यक्रम किए जाएं।
दिनेश मलिक ने बताया कि जिले में एक बार होने वाले मत्स्य उत्सव जैसे आयोजनों को शहर व कस्बों तक सीमित रखना इसकी उद्देश्यपूर्ति में बाधक हो सकता है।
एडवोकेट नरेश चौहान ने कहा कि मत्स्य उत्सव में अलवर शहर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा एवं अन्य कस्बों में भी कार्यक्रम तय करना अच्छी पहल है।
सुनील गुप्ता ने बताया कि मत्स्य उत्सव में जिले भर के लोगों को शरीक किया जाना चाहिए। इसके लिए जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर कुछ न कुछ कार्यक्रम रखे जाने चाहिए।