ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि प्राय: कुंवारी कन्याएं या सुहागन स्त्री यह व्रत करती हैं। विवाह की बाधा दूर करने, वैवाहिक जीवन में खुशहाली, पुत्र की प्राप्ति व सौभाग्य के लिए यह व्रत श्रेष्ठ है। यह पांच सालों तक भी किया जाता है। इस दिन मां पार्वती की पूजा करते हुए उनका ध्यान करें और संभव हो तो दिन भर अन्न ग्रहण नहीं करें। प्रेमी—प्रेमिकाओं के लिए यह बेहद खास दिन होता है। यह व्रत रखने से प्रेमियों में आपसी प्यार बढ़ जाता है। इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से प्रेमी विवाह बंधन में बंध सकते हैं, उनकी शादी में आनेवाली रुकावटें खत्म हो सकती हैं।
आज सावन के महीने का अंतिम मंगला गौरी व्रत है। पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार यह व्रत रखना हो तो सुबह स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करे। मां मंगला गौरी की रोली-चावल से पूजा करके सोलह श्रृंगार की वस्तु चढ़ायें। उसके बाद सोलह तरह की सभी चीजों जैसे फूल, माला, फल, पत्ते, आटे के लड्डू, पान, सुपारी, लोंग, इलायची तथा पंचखो इत्यादि का प्रसाद रखे। इसके बाद कथा करे और मंत्र का जाप कर आरती करे। माता पार्वती के समक्ष अपनी मनोकामना व्यक्त करते हुए उसे पूर्ण करने की प्रार्थना करें।