ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस बार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखने से परहेज करना चाहिए। ग्रहण काल में जलपान व भोजन से भी परहेज करना चाहिए। इसके अलावा शुभ फल पाने के लिए सूतक से ग्रहण के मोक्ष तक विशेष सामान खरीदना व बेचना वर्जित होता है।
पूरे देश में दिखाई देगा
इस खग्रास चंद्रग्रहण (पूर्ण चंद्रग्रहण) को संपूर्ण भारत में देखा जा सकेगा। भारत के अधिकांश भागों में ग्रहण लगा हुआ चन्द्रमा ही दिखाई देना शुरू होगा। ग्रहण का मध्य और मोक्ष (समाप्त काल) पूरे भारत मे दिखाई देगा। भारत के अलावा उत्तर पूर्वी यूरोप, एशिया के अधिकतर भाग, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वोत्तर अफ्रीका, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका आदि में यह ग्रहण दिखाई देगा।
इस दिन माघी पूर्णिमा स्नान भी होंगे। राजराजेश्वरी ललिता देवी जयंती भी मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 30 जनवरी को रात 9.31 बजे शुरू होगी, जो 31 जनवरी को शाम 7.16 बजे तक रहेगी। इस दिन प्रयाग माघ मेला कल्पवास स्नान का समापन भी होगा।
ग्रहण के चलते मंदिरों के पट बंद रहेंगे। घरों में भी पूजा-पाठ प्रभावित रहेगा। पूर्णिमा को पडऩे वाले साल के पहले खग्रास चंद्रगहण के चलते प्रमुख मंदिरों सहित छोटे-बड़े मंदिरों में सुबह की मंगला आरती के बाद सुबह 7.5 मिनट से मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। इस दौरान पूरे दिन सूतक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. रवीन्द्र आचार्य के अनुसार शाम 5.17 से 8.42 तक चंद्रग्रहण रहेगा।
ग्रहण के दिन दान पुण्य करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। वहीं लोग सुबह से मंदिरों में वस्त्र, फल और वस्तुओं का दान पुण्य करेंगे। पंडित सांवरमल शर्मा ने बताया कि ग्रहण के दौरान डाब को भी पवित्र माना गया है। जब कभी भी चन्द्र और सूर्य ग्रहण होता है, तो व्यक्ति अपने शरीर के शुद्धिकरण के लिए मंदिरों में रखी पवित्र डाब को अपने साथ रखते हैं। जब ग्रहण शुद्ध होता है, तो लोग डाब को पीपल के वृक्ष पर चढ़ा दिया जाता है।
अवस्था – समय
ग्रहण उपच्छाया प्रवेश – दोपहर 4.20 बजे
ग्रहण शुरू – शाम 5.15 बजे
पूर्णता शुरू – शाम 6.21 बजे
ग्रहण मध्य – शाम 7 बजे
पूर्णता समाप्त – शाम 7.38 बजे
ग्रहण समाप्त – रात 8.42 बजे
ग्रहण उपच्छाया अंत – रात 9.40 बज