यह है स्थिति
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जयुपर जिले में प्राचार्य के 1064 पद स्वीकृत है, जिनमें से 1000 पद ही भरे हुए है। वहीं वाइस प्रिंसिपल के 759 पद स्वीकृत है, जिनमें से 190 पद ही भरे हुए हैं, शेष पद खाली है। इसी प्रकार व्याख्याताओं के 3720 पदों में से 3417 पदों पर व्याख्याता कार्यरत है। यानि 303 पद खाली है। इसी प्रकार सरकारी स्कूलों में यदि सीनियर टीचरों की बात की जाए तो हिन्दी, अंग्रेजी, मैथमैक्टिक्स, समाज शास्त्र, संस्कृत, ऊर्दू सिंधी व स्पेशल एजुकेशन के 6195 पद स्वीकृत है। इनमें से 590 पद खाली है।
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सहायक कर्मचारियों 1135 पद खाली
सरकारी स्कूलों अध्यापकों के तो फिर भी पद कम खाली है, लेकिन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भारी टोटा है। जिले में सरकारी स्कूलों में 1616 पद स्वीकृत है, जिनमें से मात्र 481 पद ही भरे हुए हैं यानि 1135 पद खाली है। हालात यह है कि अधिकांश सरकारी स्कूलों में तो कई बार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी के कारण बालकों को ही स्कूलों में घंटियां बजानी पड़ती है।
शारीरिक शिक्षकों के बिना खेल अधूरे
शारीरिक शिक्षकों के 1224 में 920 पदाें पर ही शारीरिक शिक्षक भरे हुए हैं, जबकि 304 पद खाली है। इसी प्रकार कम्प्यूटर लैब प्रभारी, सीनियर लैब असिस्टेंट, पुस्तकालयध्यक्ष, लैब ब्वाॅय, प्रबोधक सहित कई पदों पर पद खाली है।
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बस्सी की स्थिति
बस्सी ब्लॉक में प्रिंसिपल के पद ही ऐेसे हैं, जिनके पद खाली नहीं है। जबकि वाइस प्रिंसिपल के 33 पदों में से 25, शिक्षकों के 1126 में से 147 खाली, शारीरिक शिक्षकों के 64 में से 48 व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 79 में से 56 पद खाली है।
स्कूलों में शिक्षकों के तो फिर भी कम पद खाली है, लेकिन सहायक कर्मचारियों के पद अधिक रिक्त है। सहायक कर्मचारियों की कई वर्षाें से भर्ती ही नहीं हुई है।
लल्लूराम मीना, सीबीईओ बस्सी