मुखबिर की सूचना को बोगस ग्राहक बनकर Gender परीक्षण की कार्रवाई को अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा। सूचना में परीक्षण करने वाले चिकित्सक व महिला का नाम सही पाए जाने पर पहली किस्त के रूप में प्रोत्साहन राशि में से 50 प्रतिशत का भुगतान होगा। इसके बाद चिकित्सक के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने पर बाकी राशि का दो किस्तों में भुगतान किया जाएगा। ऐसे में प्रोत्साहन राशि के भुगतान प्रक्रिया जटिल होने से मुखबिर इसमें रुचि नहीं लेते हैं और उनके आवेदन नहीं आते हैं।
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प्रतिदिन 300 से 400 सोनोग्राफी
कस्बे के अलावा आसपास के कई तहसीलों की गर्भवती महिलाएं यहां सोनोग्राफी करवाने आती हैं, लेकिन Gender परीक्षण पर सख्ती होने के बाद काफी हद तक इस पर अंकुश लगा है। पीसीपीएनडी एक्ट के तहत हुई कार्रवाई के बाद दो सोनोग्राफी मशीनें भी सीज हुई थी। गर्भवती महिलाएं कन्या भू्रण होने की स्थिति में गर्भपात करा लेती हैं। ऐसे में महिला व पुरुष के लिंगानुपात में गिरावट आ रही है। सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए ही मुखबिर योजना चला रखी है।
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चिकित्सा विभाग ने घटते लिंगानुपात पर नियंत्रण के लिए प्रसव पूर्व भ्रूण Gender परीक्षण कर बेटियों को जन्म देने से रोकने व प्रसव पर तकनीकी जांच पर अंकुश के लिए पीसीपीएनडी एक्ट के तहत मुखबिर योजना शुरू की थी। इसके तहत सरकारी व निजी चिकित्सालयों व सोनोग्राफी सेन्टरों पर प्रसव पूर्व Gender परीक्षण की सूचना देने वाले मुखबिर को एक लाख रुपए इनाम देना तय किया था, लेकिन लोगों का रुझान नजर नहीं आने से इनाम की राशि बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दी, लेकिन इसके बाद भी योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है।
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चार साल में Gender परीक्षण की मुखबिर से कोई सूचना नहीं मिली है। परीक्षण की सूचना पर इनाम का प्रावधान है। इसका नियंत्रण उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय जयपुर से होता है।
डॉ.गुमानसिंह यादव,ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी कोटपूतली