एक अप्रेल से 22 मई तक नगर निगम को नगरीय विकास कर के रूप में महज 10 लाख रुपए मिले हैं। इनमें से एक रुपया भी जोन कार्यालयों में जमा नहीं हुआ है। इसके अलावा होर्डिंग, पार्किंग, होटल-रेस्टोरेंट लाइसेंस और कैरिंग चार्ज में नगर निगम खाली हाथ ही रहा है।
लॉकडाउन को देखते हुए राज्य सरकार ने शहरी सरकार को 15 करोड़ रुपए की किश्त दी, ताकि सभी काम सामान्य रूप से हो सकें। निगम के लिए इस समय हिंगौनिया गौशाला, नए सफाईकर्मियों और होमगार्ड को वेतन का भुगतान, एसटीपी का बिजली बिल, घर-घर कचरा संग्रहण करने वाली कम्पनी को तो प्रति माह भुगतान करना होता है।
ये खर्च नियमित
नए सफाईकर्मी- सात करोड़ रुपए
हिंगोनिया गौशाला- तीन करोड़ रुपए
बीवीजी कम्पनी- दो से ढ़ाई करोड़
बिजली बिल (एसटीपी)- 30 लाख रुपए
गैराज शाखा के संसाधन- 30-35 लाख रुपए
होमगार्ड की सैलरी- 15 लाख रुपए
-अधिकारियों के लिए लगी गाडिय़ों की संख्या को कम किया जाएगा। अब शाखा वाइज गाडिय़ां दी जाएंगी।
-होमगार्ड की संख्या भी कम की जाएगी।
-नए निर्माण कार्यों की बजाय रखरखाव पर ध्यान दिया जाएगा।
वर्जन…
नगरीय विकास कर, मैरिज गार्डन की लाइसेंस फीस से लेकर होर्डिंग आदि से निगम की आय मार्च में करोड़ों में आय होती थी। वो इस बार नहीं हुई। अप्रेल में राज्य सरकार ने आर्थिक मदद की थी। अगले माह वित्त आयोग से बजट मिलेगा।
-महेंद्र मोहन, वित्तीय सलाहकार, नगर निगम