पार्षदों से बातचीत में सामने आया कि वीआईपी इलाकों में तो सफाई होती है, लेकिन सामान्य इलाकों में कचरा तक नहीं उठाया जाता। यही नहीं कागजों में ही सफाई कर्मचारियो की संख्या ज्यादा बताई जा रही है, जबकि मौके पर कर्मचारी ही नजर नहीं आ रहे हैं। महापौर ने साफ कहा कि पार्षदों को महज 3700 रुपए मानदेय मिलता है, इसके बाद भी वो हजारों रुपए तनख्वाह पा रहे कार्मिकों से ज्यादा काम कर रहे हैं। वार्डों में ना सफाई हो रही है और ना ही सीवर लाइनों को सही किया जा रहा है। यही नहीं कई जगहों पर मौके पर कर्मचारियों की संख्या कम है, जबकि पैसे ज्यादा कर्मचारियों के दिए जा रहे हैं। महापौर ने अधिकारियों को सात दिन में ढर्रा सुधारने के निर्देश दिए हैं। महापौर ने यह भी साफ किया कि जो कर्मचारी काम नहीं करेगा, उसका वेतन काट लिया जाएगा। उन्होंने पार्षदों का मानदेय 11 हजार रुपए करने क लिए बोर्ड में प्रस्ताव लाने के भी निर्देश दिए।
वन टू वन पार्षदों की बात को सुना बैठक में महापौर ने वन टू वन सभी पार्षदों को खड़ा करके उनकी समस्याओं को जाना। ज्यादातर पार्षदों ने सीवर व्यवस्था के फेल होने के साथ ही कर्मचारियों को लेकर भी शिकायतें की। पार्षदों ने अधिकारियों द्वारा फोन नहीं उठाने को लेकर भी महापौर से शिकायत की। डोर टू डोर कचरा संग्रहण को लेकर भी पार्षदों ने भी शिकायतें की। इस पर महापौर ने कहा कि बीवीजी कंपनी को सात दिन का समय दिया गया है अगर ढर्रा नहीं सुधरा तो हम कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाएंगे।