शेखावत ने भाजपा मुख्यालय पर प्रेस वार्ता में कहा कि बढ़ते अपराधों के चलते प्रदेश के शहरों का विकास रुक गया है। आज स्थिति यह है कि तिलक नगर जैसे इलाके में जहां जमीन के दाम एक लाख रुपए वर्गमीटर तक हैं, वहां जेडीए महज 50 हजार रुपए वर्गमीटर के दाम में जमीनें बेच रहा है, क्योंकि उसे तनख्वाह बांटनी है। शेखावत ने कहा कि जयपुर की बात छोड़िए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के गृह जिले कोटा में पिछले 22 महीने में एक भी नया काम सरकार ने शुरू किया हो तो बताए।
इज आॅफ लिविंग कॉन्सेप्ट को बिगाड़ रही है सरकार शेखावत ने कहा की कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बिल्डिंग बायलॉज का सरलीकरण की बात कही थी। मगर किया क्या, बिना सैटबैक के निर्माण हो रहे हैं। एक मंजिल ज्यादा बनाने की अनुमति दे दी गई, जिसकी वजह से इज ऑफ लिविंग कॉन्सेप्ट खराब हो रहा है। लैंड पूलिंग एक्ट और अपार्टमेंट ओनरशिप बिल पर कोई काम नहीं हुआ।
मोबिलिटी प्लान कांग्रेस के बस की नहीं शेखावत ने कहा कि जयपुर शहर में ट्रैफिक भी दुविधा बना हुआ है। हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में ट्रैफिक का मोबिलिटी प्लान बनना चाहिए। मगर यह कांग्रेस सरकार के बस की बात नहीं है। 22 महीने में कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में एक पट्टा दिया हो तो बताए। ये सरकार तो मुख्यमंत्री आवास योजना में बने मकानों के अलॉटमेंट तक नहीं कर पाई है।
सरकार को वोट मांगने का नैतिक अधिकार नहीं शेखावत ने सरकार को अकर्मण्य, अराजक और दिवालिया सरकार बताया और कहा कि अब तक सरकार चुनाव से बच रही थी। मगर लोकतंत्र में जनता से कोई नहीं बच पाता। अब 22 महीने बाद जनता की तलवार के नीचे सरकार आई है और इसका वही हश्र होगा जो बकरे का होता है। इस सरकार को नैतिक आधार पर वोट मांगने का कोई अधिकार नहीं है।