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जयपुर

सफाई में इंदौर को करें फोलो तो हैरिटेज सहेजना अहमदाबाद से सीखें

परकोटा विश्व विरासत की सूची में शामिल, लेकिन उसको संवारने को नहीं हो रहा कोई काम, 500 करोड़ सालाना सफाई पर हो रहे खर्च, फिर भी टॉप 10 में नहीं आ पा रहीं हमारी शहरी सरकारें

जयपुरApr 08, 2024 / 11:45 am

Ashwani Kumar

सफाई में इंदौर को करें फोलो तो हैरिटेज सहेजना अहमदाबाद से सीखें

सफाई में इंदौर को करें फोलो तो हैरिटेज सहेजना अहमदाबाद से सीखें

राजधानी जयपुर में रेंगता ट्रैफिक बड़ी समस्या है। सार्वजनिक परिवहन का सीमित दायरा भी शहरवासियों को दर्द देता है। सफाई की बदहाली किसी से छिपी नहीं है और विश्व विरासत सूची में शामिल परकोटा के संरक्षण की भी जरूरत है। क्योंकि कई बार सामने आया है कि जनप्रतिनिधियों की शह पर ही परकोटे पर हथौड़े चल रहे हैं। ऐसे में जयपुर को सफाई व्यवस्था इंदौर से सीखने की जरूरत है। क्योंकि इंदौर पिछले सात वर्ष से सफाई में अव्वल है। वहीं, विरासत को सहेजना अहमदाबाद से सीखना होगा।
दरअसल, यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में देश में सबसे पहले अहमदाबाद ही शामिल हुआ था। उसके बाद जयपुर के परकोटा क्षेत्र की बारी आई थी।

इंदौर: औद्योगिक राजधानी में ट्रैफिक बदहाल
शहर में सुविधाओं की दरकार है। मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी होने के कारण इंदौर में लोगों की आवाजाही भी ज्यादा होती है।
-सड़कों के कई बड़े प्रोजेक्ट अधूरे हैं। बढ़ता यातायात बड़ी समस्या है।
-इसके लिए सुपर हाईवे की मांग चल रही है।
-ट्रेन कनेक्टिविटी में भी इंदौर पीछे है।
-हवाई सुविधाओं में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की कमी है।


भोपाल: बिन झीलों के कैसा शहर
भोपाल यानी झीलों का शहर। लेकिन, यहां झीलों का दम घोंटा जा रहा है। इसके अलावा ग्रीन लैंड पर अवैध रूप से कब्जे का खेल चल रहा है। इसको रोकने के लिए लोगों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। ग्रीन लैंड पर 692 जगह अतिक्रमण पाया गया है। कलक्टर ने हटाने के निर्देश दिए।

-झीलों का संरक्षण किया जाए।
-तालाब किनारे अतिक्रमण हटाने से रोकने वाले जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई हो।
-मास्टर प्लान रोड पर झुग्गी झोपड़ियों के नाम पर पक्के निर्माण हटाए जाएं ताकि यातायात सुचारू हो।
-बढ़ते शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अभाव है, इसको बेहतर किया जाए।
-पार्किंग समस्या को दूर किया जाए। सौ करोड़ की हाइड्रोलिक पार्किंग तक पहुंच मार्ग बेहतर किया जाए, ताकि उपयोग हो सके।


जयपुर: निगम के भरोसे सफाई और संरक्षण
राजधानी जयपुर में दो नगर निगम हैं। सफाई की जिम्मेदारी निगम के कंधों पर है। निगम के अधिकारी ही जमीन पर दिखते हैं। निगम से जुड़े जनप्रतिनिधियों को छोड़ बाकी अन्य प्रतिनिधि दूर ही नजर आते हैं। जबकि, सफाई के नाम पर 500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहे हैं। हैरिटेज निगम सीमा क्षेत्र में आने वाले विश्व विरासत परकोटे का बुरा हाल है।

ये हैं राजधानी में बड़े मुद्दे
-जयपुर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सीमित हैं। इसकी वजह से यात्रियों को दिल्ली जाना पड़ता है। विदेश के लिए सीधी फ्लाइट मिलें।
-बढ़ते शहर के कारण सार्वजनिक परिवहन जवाब दे गया है। लोग निजी वाहन खरीदने को मजबूर हैं।
-परकोटे में व्यावसायिक गतिविधि बढ़ने से लोगों का वहां रहना मुश्किल हो गया है। इसको रोका जाए। तभी विरासत भी बचेगी।
-ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या बन गया है। इसको दूर करने के लिए मेट्रो का विस्तार हो और रिंग रेलवे को भी जल्द धरातल पर लाया जाए।

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