scriptJaipur Kite: पतंगों से सजे गुलाबी नगर के बाजार, संक्रांति पर 15 करोड़ के कारोबार की उम्मीद | Gulabi Nagar market decorated with kites, expected a turnover of 15 crores on Sankranti in Jaipur | Patrika News
जयपुर

Jaipur Kite: पतंगों से सजे गुलाबी नगर के बाजार, संक्रांति पर 15 करोड़ के कारोबार की उम्मीद

संक्रांति पर होने वाली जयपुर की पतंगबाजी पूरी दुनिया में मशहूर है। देश और दुनिया के पर्यटक जयपुर की पतंगबाजी देखने और इसमें शामिल होने के लिए आते है।

जयपुरJan 11, 2023 / 11:05 am

Narendra Singh Solanki

पतंगों से सजे गुलाबी नगर के बाजार, जयपुर में संक्रांति पर 15 करोड़ के कारोबार की उम्मीद

पतंगों से सजे गुलाबी नगर के बाजार, जयपुर में संक्रांति पर 15 करोड़ के कारोबार की उम्मीद

संक्रांति पर होने वाली जयपुर की पतंगबाजी पूरी दुनिया में मशहूर है। कोरोना से पहले देश और दुनिया के पर्यटक जयपुर की पतंगबाजी देखने और इसमें शामिल होने के लिए आते है, हालांकि कोरोना के बाद विदेशी पर्यटकों को जयपुर की पतंगबाजी से थोड़ा दूर कर दिया, लेकिन शहर वासियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। इस बार ठंड के कारण स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे ज्यादातर समय घर पर ही बिता रहे हैं, ऐसे में माता-पिता भी उन्हें पतंग उड़ाने से रोक नहीं पर रहे हैं। इस बार नए साल की शुरुआत के साथ ही शहर में हर रोज मकर संक्रांति जैसा माहौल बना हुआ है।
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साल भर में पतंग डोर का करीब 25 करोड़ का

पतंगों की मांग से कोरोना काल के बाद एक बार फिर व्यापार को रफ्तार मिलने लगी है। इस बार संक्रांति पर जयपुर में करीब 15 करोड़ रुपए का पतंग डोर का कारोबार होने की उम्मीद है। पूरे प्रदेश की बात करें तो साल भर में पतंग डोर का करीब 25 करोड़ का कारोबार होता है। इसमें से जयपुर में ही संक्रांति और इसके आसपास करीब 15 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। जयपुर में दो से तीन हजार कारीगर पतंग बनाने के कारोबार से जुड़े हैं। ज्यादातर पतंग रामगंज के हांडीपुरा और दिल्ली रोड पर ईदगाह के आसपास बनाई जाती हैं।
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पतंग बनाने में अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाएं शामिल

जयपुर पतंग उद्योग के अध्यक्ष संजय गोयल ने बताया कि पतंग बनाने में ज्यादातर अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाएं शामिल हैं। फिर भी बरेली से आने वाली पतंग डोर का कारोबार ज्यादा है। अभी भी जयपुर में करीब 70 फीसदी पतंग और मांझा, चरखी बरेली से ही आते हैं। माना जाता है की बरेली की पतंग, माझा और चरखी की क्वालिटी ज्यादा बेहतर होती है। वहां इसे उद्योग का दर्जा प्राप्त है। इसलिए उद्योगपतियों ने ज्यादा बड़े निवेश कर रखे हैं। जयपुर में पतंग व्यापारी लंबे समय से ऐसे लघु उद्योग का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक इस मांग पर ध्यान नहीं दिया है। व्यापारियों का कहना है इस बार कच्चा माल महंगा होने से पतंग डोर की कीमतों में 35 से 40 फीसदी की तेजी आई है। बाजार में बरेली के मांझे व पतंगों की अधिक मांग है। ये पतंगें 7 रुपए से लेकर 50 रुपए तक बिक रही है। मांझे का एक चरखा 400 रुपए से लेकर 4000 रुपए में बिक रहा है। इस बार पतंगों की अच्छी बिक्री हो रही है। सुबह से ही बाजारों में पतंगों के खरीददार आने लगे हैं, रात तक दुकानों पर ग्राहकी हो रही है।
पतंगों का पुश्तैनी काम

शहर में सबसे अधिक बाहर के व्यापारी हांडीपुरा में दुकानें किराए पर लेकर मांझा-पतंग बेचने का काम कर रहे हैं। इनमें कई पतंग व्यापारियों का यह काम पुश्तैनी है। वे पीढि़यों से मांझा व पतंग बेचने का काम कर रहे हैं। दुकानदारों की मानें तो शहर में बिक रहा मांझा कांच, कैमिकल, चावल आदि से बनाया जा रहा है। बाजार में अधिक ‘धारदार’ मांझा महंगा बिक रहा है।
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ऑनलाइन भुगतान का ट्रेंड

इस बार पतंग बाजार में ऑनलाइन भुगतान का ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है। दुकानदार नकद की बजाय पेटीएम, क्रेडिट कार्ड आदि से भुगतान ले रहे हैं। जयपुर से हांडीपुरा व चांदपोल और किशनपोल बाजार के अलावा हल्दियों का रास्ता में होलसेल रेट में भी पतंगे बिक रही है।
https://youtu.be/FNOq0z1AptU

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