दरअसल, शिक्षा मंत्री से स्कूल संचालकों ने जब शुल्क कम करने की मांग की तो उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि पीएम और सीएम के घर कोई पैसों का पेड़ नहीं है। हर कार्य का पैसा आना तो जनता से ही है।
परीक्षा का प्रति स्टूडेंट 40 रुपए शुल्क
बता दें, कि अर्द्धवार्षिक और वार्षिक दोनों परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रति स्टूडेंट शुल्क 40 रुपए वसूली जाएगी। निजी स्कूल संचालकों ने इस फीस को ज्यादा बताया तो शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह शुल्क तो एक दिन में लोग जितना गुटखा खा जाते हैं, उससे भी कम है।
CM के पास पैसों का पेड़ नहीं- मंत्री
अर्द्धवार्षिक परीक्षा के शुल्क बढ़ोतरी को लेकर निजी स्कूल संचालकों की नाराजगी पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि पेपर का पैसा लिया जा रहा है जो लेना कोई बुरा नहीं है..यह पैसा भी जनता से ही आना है, जनता द्वारा दिया जाने वाला टैक्स का पैसा ही होगा…प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के यहां पैसे का कोई पेड़ तो लगा नहीं है….ये शुल्क इतना भी नहीं है 40 रुपए का तो लोग आधे दिन में गुटखा खा जाते हैं। उल्लेखनीय है कि स्कूली बच्चों के लिए होने वाली परीक्षाएं पहले जिला स्तर पर समान प्रश्न पत्र योजना के तहत होत थी। अब राज्य सरकार ने राज्य स्तर पर समान प्रश्न पत्र पैटर्न शुरू कर दिया है। इसके तहत अब प्रदेश की सभी स्कूलों की अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं में एक समान पेपर होंगे। अब तक परीक्षा शुल्क 6 रुपए प्रति स्टूडेंट थी जिसे बढ़ाकर अब 20 रुपए प्रति स्टूडेंट कर दिया गया है।