राजस्थान में भी 2008 में ऐसा ही मामला सामने आया था। जब बसपा के 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जिससे बाद अशोक गहलोत की बतौर सीएम ताजपोशी हुई थी। 2008 में चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को 96 और भाजपा को 78 सीटें मिली थीं।
बसपा के 6 विधायकों (नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा, उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुढ़ा, सपोटरा से रमेश मीणा, गंगापुर से रामकेश मीणा, दौसा से मुरारीलाल मीणा) ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 100 सीट का आंकड़ा पार करना था।
बनाया गया था मंत्री
बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। इस तरह अशोक गहलोत सरकार को राजस्थान में पूर्ण बहुमत हासिल हो गया। कांग्रेस के पास 102 विधायक हो गए हैं। उस समय गहलोत सरकार में कांग्रेस में शामिल होने वाले सभी छह बसपा विधायकों को मंत्री बनाया गया था।
नहीं जाएगी सदस्यता
तेलंगाना में कांग्रेस के 12 विधायकों ने विधानसभा के स्पीकर को दल बदलने की जानकारी दी है। कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों के पाला बदलने के चलते उनकी सदस्यता नहीं जाएगी, क्योंकि दो तिहाई सदस्यों के पाला बदल करने की स्थिति में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने 119 में से 88 सीटें जीतकर बहुमत से सरकार बनाई है। वहीं सूबे में कांग्रेस ने महज 18 सीटों पर ही जीत दर्ज की है।
तेलंगाना कांग्रेस का बयान
उधर, चुनाव के बाद से ही सूबे में कांग्रेस की स्थिति खराब दिख रही है। कांग्रेस के कई विधायक अब भी राज्य में पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं और जल्द ही कई विधायकों के टीआरएस में शामिल होने की संभावना है। कांग्रेस के 12 विधायकों के टीआरएस में जाने की खबरों पर तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि हम इसके खिलाफ लोकतांत्रिक रूप से लड़ेंगे।