scriptमुनाफाखोरों के लालच के भेंट चढ़े लोगों के घर, अधूरे पड़े है मकानों के छत और पिलर | Building Construction Black Marketing Gravel Profiteering Greed People's Houses Eye Dream Homes | Patrika News
जयपुर

मुनाफाखोरों के लालच के भेंट चढ़े लोगों के घर, अधूरे पड़े है मकानों के छत और पिलर

Rajasthan News : अपना घर किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा सपना होता है लेकिन लालच के चलते मुनाफाखोर यह सपना तोड़ रहे हैं। जयपुर में निजी स्तर पर होने वाले निर्माणों पर अघोषित रोक लग गई है।

जयपुरMar 10, 2024 / 10:26 am

Omprakash Dhaka

people_house.jpg

Jaipur News : अपना घर किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा सपना होता है लेकिन लालच के चलते मुनाफाखोर यह सपना तोड़ रहे हैं। जयपुर में निजी स्तर पर होने वाले निर्माणों पर अघोषित रोक लग गई है। हर कॉलोनी में किसी न किसी मकान का काम बंद पड़ा है।

 



यह रोक बजरी की बढ़ती कालाबाजारी की वजह से लगी है। निर्माण कार्य की गति धीमी होने से अन्य निर्माण सामग्री की बिक्री भी प्रभावित हो रही है। लोगों को मजदूरी भी नहीं मिल रही है। पिछले एक माह में बजरी की कीमत में डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। यही वजह है कि कोई अपने घर की छत डाले जाने का इंतजार कर रहा है तो कोई इस उम्मीद है कि जब बजरी सस्ती होगी, तब पिलर की भराई का काम शुरू करवाएगा।

 



दरअसल, पिछले दो माह से बजरी की कीमतें आसमान छू रही हैं। 800 से 1000 रुपए प्रति टन में मिलने वाली बजरी की कीमत 1500 रुपए प्रति टन तक पहुंच गई है। इससे 40 टन का जो ट्रोला पहले 40 हजार में आ रहा था, अब 50 हजार रुपए तक में मिल रहा है।

 

 



-मजदूरों को काम मिलना कम हो गया है।

-टाइल्स की बिक्री भी प्रभावित हो रही है।

-लाइट फिटिंग के सामान की बिक्री भी कम हो रही है।

 

 

 


सरकार की सख्ती और मांग अधिक होने की वजह से बजरी की कीमतों में इजाफा हो रहा है। रही-सही कसर शहर के बाहरी इलाकों में बजरी की जमाखोरी ने पूरी कर दी है। ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार और खुद के लिए घर बनाने वाले लोगों ने काम रोक दिया है।

 

 

 


अब भी बजरी 600 से 800 रुपए प्रति टन में लाई जा रही है, लेकिन जयपुर आते-आते इसकी कीमत दो गुना तक हो जाती है। इसके अलावा कम गुणवत्ता वाली बजरी लेने से भी लोग बच रहे हैं।

 

 

यह भी पढ़ें

सियासत…लोक अदालत में 24.75 लाख मामलों का निस्तारण, अदालतों में 3.17 लाख मुकदमे घटे

 

 

 


-जेडीए और नगर निगम की ओर से निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में एम सेंड (पत्थर का चूरा) का उपयोग किया जा रहा है। 800 रुपए प्रति टन में यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

-नींव भरने के लिए पत्थर भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में कई मकानों का काम भी शुरू नहीं हो पा रहा है।

 

 



एक महीने पहले घर का काम शुरू करवाया था, उस समय बजरी 1150 प्रति टन आई थी। अब दाम बढकऱ 1550 रुपए हो गए हैं। बजरी की कीमत कम होगी, उसके बाद ही छत व घर के प्लास्टर का काम करवाएंगे।
– राजेंद्र सिंह शेखावत, अनुपम विहार

 


बजरी में मनमर्जी चल रही है। क्वालिटी की बजरी 1600 रुपए तक में मिल रही है। ऐसे में मकान बनाना महंगा हो गया है। बजरी में पत्थर भी खूब निकल रहे हैं। इससे बजरी और महंगी पड़ जाती है।
– महेंद्र सिंह, गंगा सागर कॉलोनी

Hindi News / Jaipur / मुनाफाखोरों के लालच के भेंट चढ़े लोगों के घर, अधूरे पड़े है मकानों के छत और पिलर

ट्रेंडिंग वीडियो