नाहरी का नाका स्थित मदरसा जामिया तैयबा के संचालक कारी इस्हाक ने कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक प्रति विधार्थी 40 रूपए की फीस विद्यार्थियों से न लेकर संबंधित शिक्षण संस्था या मदरसे को जमा कराने के लिए पाबंद किया गया है। वहीं निजी विद्यालय तो बच्चों से मोटी फीस वसूलते हैं और ये शुल्क जमा कराने में सक्षम हैं। लेकिन कौमी मदरसे मामूली फीस पर बच्चों को पढ़ाते हैं। अधिकांश मदरसों की माली हालत काफी कमजोर होती है। इसलिए, मदरसों को भी राजकीय स्कूलों की तर्ज पर शुल्क माफी दी जानी चाहिए।
‘निजी स्कूलों और पंजीकृत मदरसों को बराबर मानना गलत’ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों से ये शुल्क नहीं वसूला जा रहा तो सरकारी मदरसों से क्यों लिया जा रहा है, ये दोहरा रवैया गलत है। इसका मतलब सरकार निजी स्कूलों और पंजीकृत मदरसों को बराबर मानकर दोनों से शुल्क वसूली कर रही है। मदरसों को तत्काल छूट मिलनी चाहिए।
अमीन कयामखानी
संरक्षक, राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ