भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों को निजी लैब में जांच करानी पड़ रही है। इससे मरीजों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। क्योंकि सरकारी अस्पताल में निर्धारित जांच सुविधा ही है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की तरफ से निजी लैब से अभी तक कोई करार नहीं किया गया है।
एेसे में मरीजों के जांच में हजारों रुपए खर्च होते हैं। भामाशाह योजना के नियम अनुसार अस्पताल में जो जांच नहीं होती है व जो दवाएं नहीं हैं। वो अस्पताल प्रशासन अपने खर्च पर मरीज को खरीद कर देगा। अस्पताल को उसका पैसा इंश्योरेंस कम्पनी से मिलेगा, लेकिन जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में एेसा नहीं हो रहा।
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अभी तक करीब 250 मरीजों को भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिल चुका है, लेकिन उसके बाद भी अस्पताल प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी निजी लैब से जांच कराने के लिए करार नहीं किया गया है।
सामान्य अस्पताल में लम्बे समय से सीटी स्केन मशीन खराब है। इसलिए सीटी स्केन नहीं हो पाती है। इसके अलावा सीएसएफ व थायराइड जैसी जरूरी जांच भी नहीं होती है। सीएसएफ जांच रीड की हड्डी की होती है। इस योजना के मरीजों को अस्पताल से बाहर जांच में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
नहीं मिलती 15 दिनों की दवा
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों को अस्पताल से छुट्टी के समय 15 दिनों की दवा मिलनी चाहिए, लेकिन सामान्य अस्पताल में मरीजों को एक सप्ताह की दवा मिल रही है। उसमें भी दो से तीन तरह की दवाएं मरीज को निजी स्टोर से खरीदनी पड़ रही हैं।
नहीं है करार
डॉ. भगवान सहाय पीएमओ अलवर ने बताया कि वैसे तो किसी लैब से करार नहीं किया गया है। लेकिन अगर डॉक्टर किसी मरीज की जांच के लिए लिखकर देते हैं तो उनकी जांच अस्पताल की निर्धारित दर पर बाहर से करा दी जाएगी।
उसके लिए मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर को अस्पताल प्रशासन को जांच कराने की सूचना देनी होगी। निजी लैब से भी करार करने पर विचार चल रहा है।
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