रियायती तभी जब हमें सस्ती बिजली मिलेगी
कंपनियों के लिए अनिवार्य होगा कि आवश्यकता पड़ने पर डिस्कॉम्स को निर्धारित दर पर सस्ती बिजली सप्लाई करनी होगी। पावर परचेज एग्रीमेंट या एक्सचेंज, दोनों में से जहां भी बिजली दर कम होगी, उसी दर पर सप्लाई करना होगा।राजस्थान में जमीन को व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए बदलना हुआ आसान, लागू हुआ ये नियम
अभी स्टोर नहीं कर पा रहे बिजली
सोलर, विंड से बनने वाली बिजली को अभी ग्रिड में भेजा जाता है। यदि ज्यादा बिजली बनती है तो डिस्कॉम्स को पहले उसी बिजली को सप्लाई करना जरूरी होता है, क्योंकि इसे स्टोरेज नहीं किया जा सकता। ऐसे में थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रोकना पड़ता है। प्लांट बंद करने और फिर शुरू करने में अतिरिक्त खर्चा बढ़ जाता है। बिजली संकट के दौरान एक्सचेंज से महंगी दर पर बिजली खरीदनी पड़ती है।राजस्थान पर इसलिए फोकस
-175 गीगावाट विंड एनर्जी की क्षमता-200 गीगावाट सोलर एनर्जी की क्षमता
-1.25 लाख हेक्टेयर जमीन उपलब्ध
-70 हजार मेगावॉट क्षमता के प्लांट लग सकते हैं
इस तरह करेगी काम
- सौर व विंड एनर्जी को बैट्री में स्टोरेज किया जा सकेगा। वहीं, पम्प स्टोरेज के भी प्रोजेक्ट होंगे, जहां पानी को स्टोर करेंगे और फिर जरूरत के अनुसार बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। बैट्री में स्टोरेज क्षमता के अनुसार बिजली संग्रहित की जाएगी और बाकी बिजली का उपयोग तत्काल कर सकेंगे या फिर ग्रिड में चली जाएगी।
- रात में सौर ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए औद्योगिक इकाइयां, प्लांट, फैक्ट्री या ऑफिस में बिजली का उपयोग किया जा सकेगा। ग्रिड से बिजली लेने की बजाय स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।
- ग्रिड से बिजली नहीं लेंगे तो विद्युत शुल्क भी नहीं देना होगा। साथ ही किसी समय ज्यादा दर पर बिजली मिल रही होगी तो भी स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग कर सकेंगे।