हम चाहते हैं…बेहतर पढ़ाई और जॉब के मौके….युवाओं पर तनाव भी हो कम
– प्रवासी युवाओं ने कहा, भारत में होते तो डालते वोट, सरकार दे विदेश में भी वोट का हक
– पत्रिका के ईवीएम यानी ‘Every Vote Matters’ अभियान से लंदन, मेलबर्न, दुबई, हाइडलबर्ग जैसे शहरों से जुड़े युवा
जयपुर. प्रवासी युवाओं ने कहा, लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में जो भी सरकार आए पढ़ाई का स्तर सुधारकर रिसर्च बढ़ाने, रोजगार को तनावरहित बनाने और युवाओं को अवसाद आदि से बचाने के लिए प्राथमिकता से कार्य करे। उन्होंने मतदान अवश्य करने की अपील करते हुए कहा, वे भारत में होते तो अवश्य वोट डालते, सरकार उन्हें भी दोहरी नागरिकता और विदेश में ही वोट का अधिकार दे। पत्रिका के ईवीएम यानी ‘Every Vote Matters’ अभियान के अंतर्गत मतदाता जागरूकता के लिए आयोजित संवाद में रविवार को प्रवासी युवा यूनाइटेड किंगडम के लंदन, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न, जर्मनी के हाइडलबर्ग, संयुक्त अरब अमीरात के दुबई जैसे शहरों से वर्चुअल माध्यम से जुड़े। आस्ट्रेलिया से अभिषेक भार्गव ने कहा कि भारत सरकार अच्छे संस्थानों में कम खर्च पर पढ़ाई के अवसर बढ़ाए, ताकि ज्यादा युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले और उन्हें जॉब के अवसर भी मिल सकें। लंदन में सिविल सेवा की अधिकारी नीहारिका चौधरी ने कहा कि जब युवा विदेश में पढ़ने जाते हैं तो उनसे अपने साथ पैसा लाने पर सरकार 20 प्रतिशत टैक्स लेती है, यह परिजनों पर आर्थिक बोझ बढ़ाता है। मतदाताओं से यही अपील है कि वोट डालने अवश्य जाएं। मेलबर्न से जुड़े निखिल ने कहा कि भारत की शिक्षा में रिसर्च पर जोर नहीं है। आईआईटी जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले बाहर चले जाते हैं। आस्ट्रेलिया की आबादी दिल्ली से कम है, पर यहां नवाचार को प्रोत्साहित किया जाता है। लोकसभा चुनाव के बाद आने वाली सरकार प्रवासियों को दोहरी नागरिकता दे और ऑनलाइन वोटिंग का अधिकार भी दिया जाए। हाइडलबर्ग से रमेश चाहर ने कहा कि जर्मनी में प्लम्बर का भी उतना ही सम्मान है, जितना दूसरा काम करने वालों का। आने वाली सरकार सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कार्य करे। लोग भारत से बाहर जॉब करना इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि उनके काम के दौरान तनाव का माहौल नहीं होता। दुबई से रिद्धमा पुरोहित ने कहा कि कोविड के समय भारत में बात होती थी, तो पता चला कि पढ़ाई के दौरान काफी तनाव झेलना पड़ रहा था। आने वाली सरकार को लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा काम करना चाहिए, अभी कोटा में युवा आत्महत्या कर रहे हैं जो चिंताजनक है। लंदन में वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत शिवी सिंह ने कहा कि भारत की कंपनियां विदेश में अध्ययन करने वालों का कैम्पस प्लेसमेंट करें, ताकि प्रवासी भारत में आकर जॉब कर सकें और उन्हें वतन वापसी का मौका मिले। आस्ट्रेलिया से स्नेहा ने कहा कि आज भारत में आर्किटेक्चर जैसे पाठ्यक्रमों के लिए गिने चुने ही अच्छे संस्थान हैं, जिनमें टॉपर्स को ही दाखिला मिलता है। अन्य युवा भी अच्छे संस्थानों में पढ़ सकें, इसके लिए सरकार ध्यान दे।
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