हालांकि अस्पताल प्रशासन का सफाई में कहना है कि यह जनरल वार्ड की तरह ही है। जहां बच्चों का इस तरह इलाज किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर एक बेड पर दो से तीन बच्चों का एक साथ इलाज क्यों किया जा रहा है। क्या इससे बच्चों में आपस में रहने से इंफेक्शन का खतरा नहीं है।
बता दें कि जेके लोन अस्पताल में बच्चों के इलाज को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। पीआईसीयू टू में एक बेड पर दो से तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है। जब देखा गया तो यहां माताएं अपने नवजात बच्चों के साथ बैठी नजर आई। किसी बच्चे के ऑक्सीजन चल रही थी तो किसी के ड्रिप चल रही थी। बेड पर दो से तीन बच्चे और फिर उनके साथ उनकी माताएं। ऐसे में एक बेड पर चार—पांच जने बैठे हुए दिखे। जब महिलाओं से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके नवजात शिशुओं का इलाज चल रहा है। तो उनकी मजबूरी है कि वह चाहकर भी उन्हें छोड़ नहीं सकती है। अस्पताल में बेड नहीं है, ऐसे में मजबूरी में उन्हें जो भी बेड मिला है उसी पर बच्चे का इलाज करा रहीं है।
जब इस मामले में जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि यह जनरल वार्ड है। पिछले दिनों जब फेब्रिक वार्ड में आग लगी थी तो उस समय बच्चों को यहां शिफ्ट किया गया था। तब से अब तक फेब्रिक वार्ड का काम चल रहा है। जल्द ही फेब्रिक वार्ड तैयार हो जाएगा। एक बेड पर दो से तीन बच्चों के इलाज को लेकर सवाल के जवाब में अधीक्षक ने कहा कि यह सरकारी अस्पताल है। इसमें हम क्या कर सकते है। हम हमारी तरफ से पूरे प्रयास कर रहे है।