जयपुर। किसी ने नहीं साेचा था कि एक जादूगर का बेटा एक दिन राजनीति का महान जादूगर बनेगा आैर सियात काे इतना लंबा सफर तय करेगा। लेकिन उसने बता दिया कि अगर लगन आैर मेहनत से काम किया जाए ताे कुछ भी नामुमकिन नहीं है। हम बात कर रहे हैं अशाेक गहलाेत की।
1982 में जब गहलाेत देश की राजधानी दिल्ली में राज्य मंत्री पद की शपथ लेने ऑटोरिक्शा में सवार होकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया था। मगर तब किसी ने सोचा नहीं था कि जोधपुर से पहली बार सांसद चुन कर आया ये साधरण शख्स राजनीति में शीर्ष पर पहुंचेगा।
विरासत में मिली जादू की कला राजस्थान के पूर्व सीएम अशाेक गहलाेत का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 3 मर्इ 1951 काे जाेधपुर में हुआ। अशाेक गहलाेत के पिता बाबू लक्ष्मणसिंह गहलोत जादूगर थे। गहलोत को भी जादू की कला विरासत में मिली है। अशोक गहलोत ने भी इस पेशे में हाथ आजमाए, लेकिन उनका जादू इस क्षेत्र में नहीं चला।
कांग्रेस महासचिव अशाेक गहलाेत की पत्नी का नाम सुनीता गहलाेत है। गहलाेत के दाे बच्चे हैं। उनके बेटा का नाम वैभव गहलाेत आैर बेटी का नाम साेनिया गहलाेत है। दाे बार राजस्थान के सीएम रहे अशाेक गहलाेत ने आज जाे पहचान बनार्इ है उसमें उनकी बड़ी मेहनत छिपी है।
अपनी मेहनत के दम पर गहलाेत ने खुद काे कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित कर लिया है। माली जाति से ताल्लुक रखने वाले अशाेक गहलाेत विज्ञान आैर कानून में स्नातक आैर अर्थशास्त्र पाेस्ट ग्रेजुएट हैं।
सीएम पद की शपथ लेते ही भैरोंसिंह से आशीर्वाद लेने पहुंचे गहलाेत 1998 में ऐसे समय पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने जब प्रदेश की सियासत में स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का जलवा था। विपक्ष में रहते गहलोत स्वर्गीय शेखावत के प्रति बहुत आक्रामक थे। लेकिन सीएम पद की शपथ लेते ही वो सबसे पहले उनसे मिलने पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया।
अशोक गहलोत को लो प्रोफाइल रहना भाता है। अशोक गहलोत अपनी गाड़ी में पारले-जी बिस्किट रखते हैं। वे कड़क चाय पीने के शौकीन हैं। आपने ने भी उनकी चाय की चुस्की लेते हुए तस्वीर जरूर देखी हाेगी।
2008 के विधानसभा चुनावों के दौरान हर आेर चर्चा थी कि राहुल गांधी के करीबी सीपी जोशी अगले मुख्यमंत्री होंगे। चुनाव परिणाम आए तो जोशी नाथद्वारा सीट से विधानसभा का चुनाव केवल एक वोट से हार गए आैर किस्मत के धनी गहलाेत के सिर एक बार फिर राजस्थान का ताज सजा।
वतर्मान में गहलाेत की कांग्रेस में तूती बाेलती है। गुजरात विधानसभा चुनावाें में पार्टी के प्रदर्शन से उनका कद आैर बढ़ गया। जब पार्टी हाई कमान ने अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभार देकर भेजा तो राजस्थान में पार्टी के अंदर और बाहर उनके विरोधियों के चेहरों पर एक सियासी मुस्कान उतर आई।
राजस्थान के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में से एक राजनीतिक गलियाराें में इसे राजस्थान की सियासत से गहलोत को दूर करने के संदेश के रूप में पढ़ा गया। मगर गुजरात के चुनाव परिणाम ने उन्हें फिर मजबूत भूमिका में ला दिया आैर राहुल के सबसे करीबी बन गए।
राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले गहलाेत को राजस्थान के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में से एक माना जाता है। उनकाे मुफ्त दवा योजना और अकाल राहत के बेहतर प्रबंधन के लिए जाना जाता है।
Hindi News / Jaipur / लो प्रोफाइल रहना पसंद करता है राजस्थान का ये दिग्गज नेता, कड़क चाय का है शाैक