बता दें कि लोकेश शर्मा को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सोमवार को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उनको अग्रिम जमानत भी मिल गई। सियासी गलियारों में चर्चा है कि लोकेश शर्मा को तुंरत जमानत मिलने के बाद उनके इस मामले में सरकारी गवाह बन सकते है।
गहलोत से पूछताछ में होगा दूध का दूध, पानी का पानी
लोकेश शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि निश्चित पर मुझे भरोसा है कि जिस तरह से जांच आगे बढ़ रही है, जो कार्रवाई लगातार दिल्ली पुलिस कर रही है। मैनें लिखित में बयान दिए हैं और सबूत उपलब्ध करवाए है। उन सबकी जांच-पड़ताल कर आगे बढ़ा जाएगा। जो मुख्य आरोपी हैं और घटना में शामिल हैं, मैंने शुरू से स्पष्ट किया है कि फोन टैपिंग मामले में सीधा कोई लेना-देना नहीं है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सरकारी आवास पर बुलाकर पैन ड्राइव देते हुए कहा था कि इसको सर्कुलेट कर दो। उनका ओएसडी होने के नाते उनके आदेशों की पालना की। मैंने जिस तरह से पुलिस को बताया कि ये ऑडियों कहां से आए? अब पूछताछ अशोक गहलोत से होनी चाहिए कि ऑडियो क्लिप कहां से आए?
उन्होंने आगे कहा कि जब गृह विभाग द्वारा कोई काम किया जाता है तो उसकी जानकारी गृह विभाग, तत्कालीन गृह सचिव, डीजीपी आदि को होती है। ऐसे में उनसे भी जबाव पूछे जाने चाहिए। इन अधिकारियों और अशोक गहलोत से पूछताछ होगी तो दूध का दूध, पानी का पानी होगा। वो ही बताएंगे की ऑडियो क्लिप कहां से आए, वे लीगली इंटरसेप्ट या इनलिगली इंटरसेप्ट थे।
जानें पूरा मामला
राजस्थान की राजनीति में 2020 में हुई उथल-पुथल को लेकर कुछ ऑडियो वायरल हुए थे। इसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है। यह ऑडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने जारी किया था। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा था। शेखावत ने अवैध फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज कराई। जिसमें लोकेश शर्मा का नाम था।