जल संसाधन विभाग की ओर से तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में इसे शामिल किया गया है। हालांकि, वास्तविक प्रभावित क्षेत्र कितना होगा, इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। अभी तक राजस्व और वन विभाग के सीमांकन की स्थिति साफ नहीं हुई है। डूंगरी बांध बनास नदी पर बनना है, जो सवाईमाधोपुर जिले में है। यह हिस्सा रणथम्भौर और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी के दोनों की पहाड़ियों के बीच है।
बनास नदी का कुछ हिस्सा भी रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में आ रहा है। बांध का कुल डूब क्षेत्र करीब 12000 हेक्टेयर है। उधर, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि बांध के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो। इस तरह डिजाइन किया गया है।
जिससे की टारगर रिजर्व का कम से कम एरिया आए। ‘ऊपर’ से निर्देश के कारण अफसर अधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पुनर्वास प्रक्रियाः बांध के डूब क्षेत्र में 35 गांव भी आ रहे हैं, जहां 8 से 10 हजार आबादी बताई जा रही इसके लिए जमीन अवाप्ति और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्रक्रिया चल रही है। मोरेल नदी भी इसमें मिल रही है, जिसका कुछ हिस्सा भी डूब क्षेत्र में आएगा। वर्ष 2017 में पहली बार डीपीआर तैयार की गई।
पिछले वर्ष मध्यप्रदेश व राजस्थान के बीच हुए एमओयू के बाद संशोधित डीपीआर बनाई गई। हाल ही दोनों राज यों के बीच एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) भी हो गया। लेकिन सरकार ने अभी तक न तो डीपीआर सार्वजनिक की और न ही एमओयू व एमओए। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर गुपचुप तरीके से काम क्यों करना चाह रहे है। क्या राजनीतिक अड़चन की आशंका है या फिर मामला कुछ और है?
बीसलपुर से डेढ़ गुना ज्यादा बड़ा बांध
डूंगरी बांध की क्षमता 1600 मिलियन क्यूबिक मीटर रखना प्रस्तावित है, जो बीसलपुर बांध से डेढ़ गुना से ज्यादा है। नदी से बांध ऊंचाई 24.50 मीटर रहेगी और 1500 मीटर लम्बाई होगी। बीसलपुर बांध के छलकने के बाद ओवरफ्लो पानी डूंगरी बांध आएगा। इसके अलावा कालीसिंध और पार्वती नदी का पानी भी सीधे बांध तक पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है। यहां से अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर में लाखों लोगों के पानी की जरूरत परी हो सकेगी।
इनके जवाब मिल जाएं तो बने बात
- डूब क्षेत्र में आने से टाइगर की आवाजाही तो प्रभावित नहीं होगी। जिस पहाड़ी से सटे हिस्से में बांध बनेगा, उसके रिजर्व एरिया में टाइगर की आवाजाही होती है या नहीं। हालांकि, अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं।
- वन एवं पर्यावरण विभाग और मंत्रालय को इसकी अधिकारिक जानकारी डीपीआर फाइनल करने से पहले दे दी थी या अब एनओसी आवेदन करने के पर ही स्थिति सामने आएगी।
- क्या वन विभाग मान रहा है कि जनहित के इस प्रोजेक्ट से टाइगर रिजर्व और वाइल्डलाइफ सेंचुरी प्रभावित नहीं होगी।