कंपनियों ने पम्प स्टोरेज के लिए आसानी से जमीन उपलब्ध कराने की जरूरत जताई है। इसके लिए विद्युत मंत्रालय की गाइडलाइन का हवाला भी दिया गया है। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड सरकार भी ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसी आधार पर राजस्थान में भी गाइडलाइन तैयार होगी।
इंटीग्रेटेड पंप स्टोरेज (सूरज, हवा और ग्रिड तीनों के जरिए से मिलने वाली बिजली का स्टोरेज) के रूप में यह प्रोजेक्ट होगा। इस फार्मूले को प्रदेश में सफल बनाने पर काम शुरू हो गया है। अक्षय ऊर्जा निगम इस पर लगातार रिसर्च कर रहा है। इसके लिए उन जलाशयों, बांधों को देखा जा रहा है, जिनके नजदीक पहाड़ी है और वहां पानी स्टोर किया जा सके।
सूरज और हवा से बनने वाली बिजली को ग्रिड में भेजा जाता है। यदि ज्यादा बिजली बनती है तो डिस्कॉम्स को पहले उसी बिजली को सप्लाई करना जरूरी होता है, क्योंकि इसे स्टोरेज नहीं किया जा सकता। ऐसे में थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रोकना पड़ता है। प्लांट बंद करने और फिर शुरू करने में अतिरिक्त खर्चा बढ़ जाता है।
-टोंक- 800 मेगावाट
-प्रतापगढ़- 580 मेगावाट
-बूंदी- 800 व 900 मेगावाट
-बांसवाडा- 860 मेगावाट
-उदयपुर- 1050 मेगावाट
-सिरोही- 1200 व 900 मेगावाट