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जयपुर

पावर सेक्टर में राजस्थान बनेगा आत्मनिर्भर, अब इस तरह दूर होगा बिजली संकट, अडानी जैसी बड़ी कंपनियां आईं आगे

Produce Electricity From Water : राजस्थान में पानी से बिजली बनाने के लिए 20 हजार मेगावाट क्षमता के पम्प स्टोरेज सिस्टम लगाने की क्षमता है। सेन्ट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के इस आकलन के बाद राज्य सरकार प्रदेश को बिजली में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है।

जयपुरMar 18, 2024 / 09:32 am

Supriya Rani

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Bhajanlal Government : राजस्थान में पानी से बिजली बनाने के लिए 20 हजार मेगावाट क्षमता के पम्प स्टोरेज सिस्टम लगाने की क्षमता है। सेन्ट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के इस आकलन के बाद राज्य सरकार प्रदेश को बिजली में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके लिए पहले चरण में 7090 मेगावाट के प्लांट के लिए 8 जगह चिह्नित कर ली गई हैं। इनमें टोंक, प्रतापगढ़, बूंदी, बांसवाड़ा, उदयपुर, सिरोही जिले शामिल हैं। बूंदी और सिरोही में दो-दो लोकेशन पर काम होना है। खास यह है कि इसके लिए अडानी, जेएसडब्ल्यू, ग्रीन टोरेंटो, रिन्यू एनर्जी, ग्रीनको सहित एक दर्जन बड़ी कंपनियों ने इच्छा जताई है। हाल ही में अक्षय ऊर्जा निगम और इन कंपनियों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत भी हुई है। राजस्थान के लिए इस संभावना को अवसर में बदलने का बड़ा मौका है क्योंकि, अभी तक प्रदेश टेंडर के जरिए बिजली खरीदने का प्रयास करता रहा है।

 

 

 


कंपनियों ने पम्प स्टोरेज के लिए आसानी से जमीन उपलब्ध कराने की जरूरत जताई है। इसके लिए विद्युत मंत्रालय की गाइडलाइन का हवाला भी दिया गया है। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड सरकार भी ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसी आधार पर राजस्थान में भी गाइडलाइन तैयार होगी।

 

 

 

इंटीग्रेटेड पंप स्टोरेज (सूरज, हवा और ग्रिड तीनों के जरिए से मिलने वाली बिजली का स्टोरेज) के रूप में यह प्रोजेक्ट होगा। इस फार्मूले को प्रदेश में सफल बनाने पर काम शुरू हो गया है। अक्षय ऊर्जा निगम इस पर लगातार रिसर्च कर रहा है। इसके लिए उन जलाशयों, बांधों को देखा जा रहा है, जिनके नजदीक पहाड़ी है और वहां पानी स्टोर किया जा सके।

 


सूरज और हवा से बनने वाली बिजली को ग्रिड में भेजा जाता है। यदि ज्यादा बिजली बनती है तो डिस्कॉम्स को पहले उसी बिजली को सप्लाई करना जरूरी होता है, क्योंकि इसे स्टोरेज नहीं किया जा सकता। ऐसे में थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रोकना पड़ता है। प्लांट बंद करने और फिर शुरू करने में अतिरिक्त खर्चा बढ़ जाता है।

 

 

-टोंक- 800 मेगावाट

 

-प्रतापगढ़- 580 मेगावाट


-बूंदी- 800 व 900 मेगावाट

 

-बांसवाडा- 860 मेगावाट


-उदयपुर- 1050 मेगावाट

 

-सिरोही- 1200 व 900 मेगावाट

 

 

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