पीडि़त पावटा निवासी है। 24 अक्टूबर को परिवादी बृज कुमार व उसकी पत्नी सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। पावटा से प्रथमिक उपचार के बाद बृज कुमार पत्नी को जयपुर स्थित महिला चिकित्सालय ले आया। यहां उसके गर्भ में पल रहे 7 महीने के बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई थी। पीडि़त को क्लेम लेने के लिए बच्चे का पोस्टमार्टम कराना जरूरी था। इसलिए वह सेठी कॉलोनी स्थित एसआर गोयल अस्पताल (सेटेलाइट) में पहुंचा। यहां डॉ.बी.एल. मीणा ने बच्चे का पोस्टर्माटम कर दिया और इसके बाद रिश्वतखोरी का खेल शुरू हुआ।
डॉ. मीणा ने 25 अक्टूबर को पीडि़त के भाई को फोन कर बृज कुमार को रिपोर्ट लेने के लिए अस्पताल बुलाया। पीडि़त अगले दिन पहुंचा तो मीणा ने दो अलग—अलग रिपोर्ट तैयार करने का हवाला दिया। उसने कहा एक रिपोर्ट बिना क्लेम की होगी और दूसरी से मुआवजा मिल जाएगा। इस पर पीडि़त से फिर पूछा की बता कौनसी रिपोर्ट चाहिए। परेशान पीडि़त ने क्लेम वाली रिपोर्ट के लिए कहा तो चिकित्सक ने 10 हजार रुपए की मांग कर डाली। राशि नहीं देने पर दूसरी रिपोर्ट देने की बात कही। इस पर पीडि़त ने अपने रिश्तेदार—परिजन को बात बताई। उनमें से एक ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी। इसके बाद उसने एसीबी अधिकारियों को जानकारी दी। चिकित्सक के पास गया तो 8 हजार रुपए पर बात तय हुई।