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CG Election 2023 : टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक का झलका दर्द, बोले.. जगदलपुर में प्रचार नहीं करूंगा, संगठन में रहकर करूंगा काम चयनित अभ्यर्थियों में बस्तर के युवाओं की संख्या कम होने की जो वजह बताई जा रही है, वह यहां के युवाओं का टीईटी क्वालीफाई नहीं होना और बीएड, डीएड की योग्यता नहीं होना है। भर्ती के लिए जब विज्ञापन जारी किया गया तभी बस्तर के स्थानीय युवाओं ने बस्तर में लागू पांचवीं अनुसूची के आधार पर रियायत देने की मांग की थी, लेकिन उन्हें रियायत नहीं मिल पाई और अब यहां के युवाओं का चयन प्रतिशत साढ़े पांच प्रतिशत पर ठहर गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बस्तर के युवाओं को अपनी योग्यता में इजाफा करना होगा, तभी वे मैदानी इलाके के युवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे और इस तरह के पदों पर उनकी भर्ती हो पाएगी।
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आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का कमाल.. सुई की मदद से बिना चीरफाड़ के इलाज, दो मासूमों को दिलाई दर्द से निजात सबसे ज्यादा कांकेर और सबसे कम सुकमा में स्थानीय चयन भर्ती से जुड़ेे जो आंकड़े पत्रिका को प्राप्त हुए उसके अनुसार सबसे ज्यादा स्थानीय भर्ती कांकेर में हुई है यहां के 94 युवा चयनित हुए हैं वहीं सबसे कम सुकमा में मात्र 2 युवाओं को ही मौका मिल पाया है। इसी तरह बीजापुर में 5, नारायणपुर में 16, कोण्डागांव में 67, बस्तर में 51 और दंतेवाड़ा में 10 युवा चयनित हो पाए हैंं। इन्हीं आंकड़ों के सामने आने के बाद बस्तर के स्थानीय युवाओं में गुस्सा बढ़ा है और सभी का यही कहना है कि बस्तर जैसे संवेदनशील इलाके में स्थानीय युवाओं को अगर मौका मिलता तो शिक्षा व्यवस्था ज्यादा बेहतर तरीके से संचालित हो पाती। युवा बोले- मैदानी इलाके के लोग ट्रांसफर लेकर चले जाएंगे इस पूरे मामले में बस्तर के स्थानीय बेरोजगार युवा खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें आगे भी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होना है इसलिए वे खुले तौर पर विरोध करने की स्थिति में नहीं है।
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हेमंचद यादव विश्वविद्यालय पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना में पास तो पूरक की फीस वापस होगी सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिले के युवाओं से जब पत्रिका ने बात की तो उन्होंने कहा कि स्थानीय युवाओं को मौका नहीं मिलने से बस्तर का नुकसान ही होगा। मैदानी इलाके के जिन लोगों का चयन हुआ है वे आगे चलकर यहां से तबादला ले लेंगे और बस्तर में शिक्षा व्यवस्था फिर पहले की स्थिति में आ जाएगी। पिछले साल बस्तर और सरगुजा में स्थानीय भर्ती पर लगी रोक पिछले साल 30 सितंबर को शासन ने बस्तर और सरगुजा संभाग में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद पर वहीं के मूल निवासियों की भर्ती का नियम समाप्त कर दिया था। इस नियम के समाप्त होने के बाद अन्य जिलों के अभ्यर्थी भी यहां के पदों के लिए आवेदन कर सकते थे। राज्य सरकार ने 2012 में यह प्रावधान लाया गया था कि बस्तर और सरगुजा संभाग में स्थानीय पदों पर स्थानीय भर्ती ही की जाए।
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नवजातों में बढ़ रही शुगर की बीमारी, एक लाख में 10 बच्चे चपेट में हाईकोर्ट में इसे चैलेंज किया गया और कोर्ट ने इसे संविधान के खिलाफ माना। इसके बाद से बस्तर में हो रही भर्ती में राज्यभर के युवा शामिल हो रहे हैं। ऐसा होने के बाद से बस्तर के युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जिला स्वीकृत पद बस्तर 966 बीजापुर 265 दंतेवाड़ा 245 कांकेर 1067 कोण्डागांव 1298 नारायणपुर 240 सुकमा 359 कुल 4440 इन जिलों में इतने स्थानीय युवाओं को मौका सुकमा 02 बीजापुर 05 दंतेवाड़ा 10 नारायणपुर 16 बस्तर 51 कोण्डागांव 67 कांकेर 94 कुल 245 है।
– टीईटी, बीएड और डीएड की अनिवार्यता की वजह से पिछड़े बस्तर के अभ्यर्थी
– राज्य के मैदानी इलाके के अभ्यर्थी ले गए सारे पद
– स्थानीय भर्ती पर रोक की वजह से बढ़ी प्रतिस्पर्धा
– संभाग में अब तक 3763 ने ली ज्वाइनिंग
– अभी भी 677 की ज्वाइनिंग होना बाकी