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जगदलपुर

बिना जांचे परोसा जा रहा खाना, दांव पर है मासूमों की ज़िन्दगी

* पिछले महीने Ready to eat food खाने से 6 बच्चे सहित आंगनबाड़ी सहायिका को हुआ था फूड पॉइजनिंग (Food poisoning)* जगदलपुर जिले में 64 महिला समूह करती हैं रेडी टू ईट (Ready to eat food) की सप्लाई , हर माह किया जा रहा 96 लाख रुपए का भुगतान* आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई के बाद आती है जांच ( Testing laboratory ) की रिपोर्ट
 

जगदलपुरJul 03, 2019 / 05:05 pm

CG Desk

Ready to eat

बिना जांचे परोसा जा रहा खाना, दांव पर है मासूमों की ज़िन्दगी

बस्तर। कुपोषित बच्चों को पोषित करने दी जा रही रेडी टू ईट (Ready to eat food) की जांच के लिए प्रदेश में लैब तक नहीं हैं। रेडी टू ईट फूड पैकेट (Ready to eat food packet) की वैधता तीन महीने ही रहती है। वहीं सैंपल भेजने के बाद जांच रिपोर्ट आने में महीनेभर समय लग जाता है। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई होने के बाद जांच रिपोर्ट मिलती है। ऐसे में अमानक रेडी टू ईट फूड भी बच्चों को परोसी जा रही हैं।
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ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले डिमरापाल स्थित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक-2 में रेडी टू ईट फूड (Ready to eat food) खाने से 6 बच्चे और आगनबाड़ी की सहायिका को फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) हो गया था। इसके बाद फूड एंड सेफ्टी विभाग (Food and Safety Department) ने रेडी टू ईट और देवभोग दूध की सरकारी सप्लाई वाले पैकेट (Packet) का सैंपल लेकर जांच (Testing laboratory ) के लिए रायपुर (Raipur chhattisgarh) भेजा गया था। सप्ताहभर बाद भी इसकी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।यदि रेडी टू ईट की सप्लाई (Ready to eat food supply) से पहले जांच रिपोर्ट (Report) आ जाती, तो उसकी गुणवत्ता की जानकारी पहले ही मिल जाती। शासन-प्रशासन (Chhattisgarh Government) की अव्यवस्थाओं का खामियाजा बच्चों को भुगतनी पड़ रही हैं।
हर महीने 96 लाख रुपए खर्च
जिले के 2 हजार 110 आंगनबाड़ी (Anganwadi Kendra) केंद्रों में 64 महिला समूह (Mahila Samuh) रेडी टू ईट फूड की सप्लाई (Ready to eat food supply) करते हैं। इसमें एक महिला समूह को डेढ़ से दो लाख रुपए तक भुगतान होता है। ऐेसे में 64 समूह को डेढ़ लाख रुपए के हिसाब से हर महीने करीब 96 लाख रुपए तक भुगतान होता है। इसके बावजूद रेडी टू ईट फूड की गुणवत्ता की जांच को लेकर अधिकारी (Officers) कर्मचारी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं।
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रेडी टू ईट की सैंपल भेजने खर्च हो रहे 16 हजार रुपए
रेडी टू ईट की गुणवत्ता जांच के लिए सैंपल भेजने में ही हर महीने 16 हजार रुपए खर्च होता है। एक समूह के सैंपल भेजने में 250 रुपए लगता है। इसी प्रकार 64 समूहों का सैंपल (Samples) भेजने में 16 हजार रुपए खर्च होता है। पहले सिर्फ 20 प्रतिशत समूहों का ही सैंपल भेजते थे। अब सभी समूहों का सैंपल भेजना पड़ता है। इतना ही नहीं पहले तो सैंपल भेजने का खर्च समूहों से वसूल किया जाता था। अब यह खर्च शासन (Goverment) से भुगतान होता हैं। इधर इस काम को चलाने वाले फर्म संचालकों का कहना है कि काम की जांच के लिए सहुलियत होनी चाहिए।
इन राज्यों में हैं सैंपल जांच के लिए लैब
रेडी टू ईट फूड का सेंपल मुंबई स्थित खाद्य व पोषाहार बोर्ड के प्रयोगशाला में भेजना होता है। इसके अलावा केन्द्र शासन से मान्यता प्राप्त 4 लैब (Testing laboratory ) इै। इसमें एईएस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा यूपी (AES Laboratories Pvt. Ltd. Noida), एनाकॉन लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड नागपुर(Anacon Laboratories Pvt. Ltd. Nagpur) महाराष्ट्र, सीईजी टेस्ट हाउस प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (CEG Test House Pvt Ltd Jaipur) राजस्थान व टेक्टेक्स इंडिया लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड मुंबई (Texx India Laboratories Pvt. Ltd. Mumbai) शामिल हैं।
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