जिले के 2 हजार 110 आंगनबाड़ी (Anganwadi Kendra) केंद्रों में 64 महिला समूह (Mahila Samuh) रेडी टू ईट फूड की सप्लाई (Ready to eat food supply) करते हैं। इसमें एक महिला समूह को डेढ़ से दो लाख रुपए तक भुगतान होता है। ऐेसे में 64 समूह को डेढ़ लाख रुपए के हिसाब से हर महीने करीब 96 लाख रुपए तक भुगतान होता है। इसके बावजूद रेडी टू ईट फूड की गुणवत्ता की जांच को लेकर अधिकारी (Officers) कर्मचारी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं।
रेडी टू ईट की गुणवत्ता जांच के लिए सैंपल भेजने में ही हर महीने 16 हजार रुपए खर्च होता है। एक समूह के सैंपल भेजने में 250 रुपए लगता है। इसी प्रकार 64 समूहों का सैंपल (Samples) भेजने में 16 हजार रुपए खर्च होता है। पहले सिर्फ 20 प्रतिशत समूहों का ही सैंपल भेजते थे। अब सभी समूहों का सैंपल भेजना पड़ता है। इतना ही नहीं पहले तो सैंपल भेजने का खर्च समूहों से वसूल किया जाता था। अब यह खर्च शासन (Goverment) से भुगतान होता हैं। इधर इस काम को चलाने वाले फर्म संचालकों का कहना है कि काम की जांच के लिए सहुलियत होनी चाहिए।
रेडी टू ईट फूड का सेंपल मुंबई स्थित खाद्य व पोषाहार बोर्ड के प्रयोगशाला में भेजना होता है। इसके अलावा केन्द्र शासन से मान्यता प्राप्त 4 लैब (Testing laboratory ) इै। इसमें एईएस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा यूपी (AES Laboratories Pvt. Ltd. Noida), एनाकॉन लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड नागपुर(Anacon Laboratories Pvt. Ltd. Nagpur) महाराष्ट्र, सीईजी टेस्ट हाउस प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (CEG Test House Pvt Ltd Jaipur) राजस्थान व टेक्टेक्स इंडिया लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड मुंबई (Texx India Laboratories Pvt. Ltd. Mumbai) शामिल हैं।