इसका काम स्पेशलिस्ट लोगों से चूहों को पकड़ना है। लेकिन यह कंपनी तीन साल से काम करने के बाद भी अब तक इसका सफाया नहीं हो चुका है और उनका आतंक जारी है। इसका नतीजा है कि मेकाज में करोड़ों की मशीनों को यह चूहे नुकसान पहुंचा रहे हैं।
CG News: रायपुर की है कंपनी
मेडिकल कॉलेज में जिस कंपनी को चूहे पकड़ने व इससे निजाद दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है उसके कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। क्योकि इतने बड़े अस्पताल के लिए उन्होंने सिर्फ दो कर्मचारी लगाए हुए हैं जबकि ठेका कंपनी सिक्योर जोन के लिए प्रत्येक साल 10 लाख रुपए ले रही है। इन कर्मचारियों का वेतन भी इतना ही है कि उनकी सालभर की सेलरी को छोड़ दें तो कपंनी 75 प्रतिशत राशि बचा रही है। ऐसे में ठेके पर भी सवाल खड़े हो रहा है।
कंपनी का दावा, 4 हजार चूहे पकड़े
चूहे पकडऩे के लिए जिसने टेंडर लिया है उसका दावा है कि उन्होंने 4 हजार चूहे पकड़े हैं। अब दो कर्मचारियों में उन्होंने इतनी अधिक मात्रा में चूहों को जिंदा या मुर्दा कैसे पकड़ा इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं चूहों को खत्म करने या कम करने की दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में यह भी सवाल है कि आखिर चूहों का आतंक खत्म कैसे होगा। यदि नहीं होगा तो क्या यह ठेका निरंतर चलता रहेगा।
मेकाज में अभी भी खराब पड़ी है सिटी स्कैन मशीन
CG News: मेकाज में चूहों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल के अंदर दो से तीन बार चूहों ने सिटी स्कैन मशीन को नुकसान पहुंचाया। इसके चलते मेकाज में करीब 100 से अधिक दिनों तक सेवा प्रभावित रही। इतना ही नहीं अभी भी मेकाज में सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है। लोग सेवा के लिए मेकाज से
जगदलपुर महारानी या निजी लैबों तक का दौड़ लगा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि कई बार उन्हें इसका खामियाजा जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है। एक साल में बस्तर के सबसे बड़े अस्पताल में यदि 100 से अधिक दिन तक सेवा प्रभावित रहेगी तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।