श्वेता और रंजना ने बताया कि मैं अक्सर घर में मेड के बच्चों को उनके साथ में आते देखती थी। एक दिन किसी बच्चे से पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसकी मां ने कहा, हम सिर्फ घर चलाने का पैसा कमा पाते हैं, फीस के लिए पैसा जुटाना मुश्किल होता है। इसलिए बच्चों को अच्छे स्कूल में भेज पाना संभव नहीं। उस बच्चे की आंखों में अच्छे स्कूल में पढऩे की चाह नजर आई। तभी से निशुल्क शिक्षा देने का निश्चय किया।
महिला सदस्य ही इक्कट्ठा करती हैं फीस
श्वेता वर्मा ने बताया कि रंजना के साथ मिलकर जब इस संस्था की शुरुआत की तो मात्र दो लोगों के साथ कई बच्चों की पढ़ाई और कोचिंग करवाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने अन्य महिलाओं को जोड़ा। अभी ग्रुप में 30 महिलाएं हैं, जो घरों में घरेलू मेड के बच्चों की स्कूल और कोचिंग की फीस, पैसे इक्कट्ठा करके देती हैं। अभी 60 से ज्यादा बच्चों का खर्च उठाया जा रहा है।
सोशल मीडिया से कनेक्टिविटी भी
दोनों सहेलियों का कहना है कि निशुल्क कोचिंग और पढ़ाई की जानकारी वे सोशल मीडिया पर भी खूब साझा करती हैं, ताकि जो अपने घरों में मेड के बच्चों को आता देखते हैं, वे उनकी पढ़ाई के लिए संपर्क कर सकें। कोचिंग के लिए टीचर्स भी संस्था द्वारा ही मुहैया करवाए जाते हैं। वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए ये सोशल मीडिया पर युवाओं को जोडऩे के लिए कैंपेन भी चलाती हैं।