इसके बाद से अब इसे राष्ट्र धरोहर के रूप में साइबर सुरक्षा तय की जाएगी। राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अधोसंरचना संरक्षण केन्द्र दिल्ली (NCIIPC) ने इसे मध्यप्रदेश के गजट नोटिफिकेशन में प्रकाशित कराने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
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बिजली सप्लाई सिस्टम की सुरक्षा के लिए कदम
स्टेट पावर ट्रासंमिशन कंपनी के राज्य लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर के मुख्य अभियंता के.के प्रभाकर ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि, पावर सेक्टर में भारत सरकार के नियमों के तहत अब स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर की साइबर सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से भी दिशा निर्देश दिए जाएंगे। एक तरह से लोड डिस्पेच सेंटर अब राष्ट्र की धरोहर के रूप में काम करेगा। इस सिस्टम के लागू और अनुमोदित होने के बाद प्रदेश की जनता को किसी साइबर अटैक के कारण विद्युत आपूर्ति में बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
4 प्रणालियों में होगा लोड डिस्पेच
लोड डिस्पेच की चार प्रणालियां रहेगी, जिनमें स्काडा, रिन्युवल इनर्जी मेनेजमेंट सिस्टम, यूनिफाइड रियल टाइम डायनामिक सिस्टम और वेब आधारित इनर्जी शेड्यूलिंग सिस्टम के तहत साइबर सुरक्षा प्रणाली के लिए पाबंद रखा जाएगा। अनुमोदन के बाद प्रदेश में बिजली तंत्र की लिए सुरक्षा के लिए दोहरी प्रणाली रहेगी। हनी पॉट डिवाइस के जरिए इस प्रणाली को साइबर अटैक से और सुरक्षित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार के नियमों के तहत अब लोड डिस्पेच सेंटर की प्रणाली में कोई इंटरनेट से छेड़छाड़ या हेकिंग जैसा प्रयास करता है तो इसे राष्ट्र की सुरक्षा पर हमला माना जाएगा। संबंधित के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।
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लंबी बातचीत के बाद मिली सफलता
राज्य लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर द्वारा विकसित साइबर सुरक्षा प्रणाली को मान्यता देने के लिए केन्द्र सरकार की मुंबई स्थित राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अधो संरचना संरक्षण केन्द्र (NCIIPC) के साथ 15 बैठक हुई थी। राज्य लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर के मुख्य अभियंता इंजीनियर के के प्रभाकर के मार्गदर्शन में इस प्रणाली को विकसित करने वाले राज्य लोड डिस्पेच सेंटर, जबलपुर के अधीक्षण अभियंता राजेश गुप्ता ने मध्यप्रदेश पावर ट्रासंमिशन कंपनी का प्रतिनिधित्व कर सफलता प्राप्त की है।
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