गुमनाम नायकों को सम्मान देने का प्रयास
संग्रहालय में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए शंकर शाह और रघुनाथ शाह के संघर्ष और बलिदान को दिखाया गया है। मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा मिलकर बनाए गए इस संग्रहालय का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले उन गुमनाम नायकों को सम्मानित करना है जिन्हें इतिहास में उचित मान्यता नहीं मिल सकी। इस पहल के तहत विशेषकर आदिवासी नायकों के योगदान को उजागर करने पर ध्यान दिया गया है। इस संग्रहालय में पांच प्रमुख गैलरी हैं, जो गोंडवाना जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं को भी दर्शाती हैं। यह भी पढ़े – खुशखबरी! MSP की दर में शानदार बढ़ोत्तरी, किसानों को मिलेगा फायदा कौन थे राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह?
1857 की क्रांती में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह गढ़ा मंडला और
जबलपुर के गोंड राजवंश के प्रतापी राजा संग्राम शाह के वंशज थे | राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने 1857 की क्रांती में उनकी कविताओं ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की आग भड़का दी। डिप्टी कमिश्नर ई. क्लार्क ने एक जासूस की मदद से 14 सितंबर 1857 को शाम 4 बजे दोनों को पकड़ लिया। अगले तीन दिनों तक मुकदमा चलाने के बाद दोनों वीरों राजा फांसी की सजा सुना दी गई। 18 सितंबर 1857 को सुबह 11 बजे उन्हें तोप के मुंह पर बांध दिया गया और उन्होंने देश के लिए अपने प्राण त्याग दिए।