ये भी स्पष्ट किया है की अवासीय उपयोग के लिए आवंटित भूखंड में पट्टेदार द्वारा आवायीय उपयोग के साथ ही २५ प्रतिशत से कम भाग का उपयोग स्वयं या परिवार का कोई सदस्य ट्यूशन कार्य या सिलाई-कढ़ाई, पापड़-बड़ी जैसे कुटीर उद्योग के लिए करता है तो इसे प्रयोजन परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
ये भी महत्वपूर्ण प्रावधान
– अवासीय उपयोग के लिए आबंटित भूखंड पर निर्मित भवन आवासीय प्रयोजन के लिए किराये पर दिया जाता है तो प्रयोजन परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
– भूखंड के कुछ हिस्से का उपयोग गेस्ट हाउस या हॉस्टल के रूप में किए जाने पर उपयोग वाणिज्यिक माना जाएगा।
– पट्टेदार अगर वैद्य अवधि में या नवीनीकरण के बाद भूखंड के कुछ अंश का उपयोग व्यसायिक उपयोगके लिए परिवर्तन कराना चाहता है तो मास्टर प्लान के अनुसार ही टाउन एंड कं ट्री प्लानिंग से स्वीकृति लेने के बाद ही उसका भू भाटक या प्रीमियम निर्धारित होगा।
– पट्टे की शर्तों का उल्लंघन होने की दशा में या निर्धारित भू भाटक का भुगतान न करने की स्थिति में या पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद भी पट्टा नवीनीकरण नहीं कराने पर प्राधिकृत अधिकारी ६ महीने में प्रकरण का निराकरण कराए गएा। निराकरण में पुन: प्रवेश की कार्रवाई या नीलामी कर भूखंड पट्टा पर दी जाने की कार्रवाई की जाएगी
– ऐसे मामलों में जिनमें मूल पट्टेदार की मृत्यु हो चुकी है विधिवत पट्टा अंतरण की कार्रवाई नहीं कराई गई है, उत्तराधिकारियों को वसीयत के आधार पर पट्टे के अंतरण की कार्रवाई करना अनिवार्य होगा।
– नजूल पट्टा नवीनीकरण व भू भाटक निर्धारण के लिए सर्कु लर जारी कर प्रक्रिया को पहले से ज्यादा आसान बनाया गया है। रहवासी व व्यवसायिक उपयोग किन स्थितियों में माना जाएगा, ये भी स्पष्ट किया गया है। जिससे पट्टेधारी स्वयं नवीनीकरण करा सकें व शर्तों का उल्लंघन होने पर राजस्व अधिकारी कार्रवाई कर सकें।
– अरुण पांडे, प्रमुख सचिव, मप्र शासन