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भारत के इस गांव में नहीं है शराब या शराबी की एंट्री, पकड़े गए तो लगता है 10 हजार का जुर्माना

गांव के लोगों ने एकता और अनुशासन की ऐसी मिसाल पेश की है कि, गांव में रहने वाले किसी शख्स की तो छोड़िये गांव में आने वाला कोई बाहरी भी यहां शराब पीकर या लेकर आने की जुर्रत नहीं करता।

जबलपुरMay 31, 2022 / 09:38 am

Faiz

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भारत के इस गांव में नहीं है शराब या शराबी की एंट्री, पकड़े गए तो लगता है 10 हजार का जुर्माना

जबलपुर. भले ही मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सूबे में शराबबंदी को लेकर आए दिन मोर्चा खोलती रहती हों, लेकिन हर बार उनकी ओर से की जाने वाली मेहनत रंग नहीं लाती। वहीं, प्रदेश के ही जबलपुर जिले में एक आदिवासी गांव ऐसा भी है, जहां पिछले 12 साल से शराबबंदी लागू है। गांव के लोगों ने एकता और अनुशासन की ऐसी मिसाल पेश की है कि, गांव में रहने वाले किसी शख्स की तो छोड़िये गांव में आने वाला कोई बाहरी भी यहां शराब पीकर या लेकर आने की जुर्रत नहीं करता।


‘शराब एक सामाजिक बुराई है, इसे मिलजुलकर खत्म किया जा सकता है’। अकसर आपने ये स्लोगन किसी सरकारी इमारत की दीवार या सार्वजनिक स्थल पर लिखा देखा होगा, लेकिन दुर्भाग्य से इसका पालन कोई नहीं करता। हर समाज और वर्ग के लोग नशे की इस बीमारी से बीमार भी हैं और परेशान भी, बावजूद इसके अकसर लोग इस जानलेवा समस्या से छुटकारा नहीं ले पाते। लेकिन, आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जिसने शराबबंदी करके न सिर्फ मध्य प्रदेश में बल्कि देशभर में मिसाल पेश की है।


आदिवासी गांव ने पेश की मिसाल

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एक तरफ तो नशे के आदि शख्स को शराब छोड़ पाना और शराबी से शराब की लत छुड़वा पाना बड़ी चुनौती का काम है। लेकिन, मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा आदिवासी बाहुल्य गांव हैं, जिसने यहां के किसी एक या दो लोगों को शराब पीने से नहीं रोका, बल्कि पूरे गांव के साथ साथ गांव में प्रवेश करने वाले किसी भी शख्स को शराब पीकर या लेकर आने की रोक लगा रखी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में रहने वाले लोग बीते 12 वर्षों से शराब पीना तो दूर उसके नजदीक तक नहीं गए हैं।


शराब पीकर आए तो खैर नहीं

दरअसल, 12 साल पहले गांव के लोगों ने शराबबंदी का संकल्प लिया और तब से लेकर अबतक इस गांव में न तो शराब पी गई है और न ही खरीदी या बेची गई है। अगर कोई कोई शख्स बाहर से शराब लेकर या पीकर आ जाए तो समझ लो कि उसकी खैर नहीं। ग्राम पंचायत द्वारा शराब के उपयोग पर सीधे 10 हजार रूपए का जुर्माना लगाया गया है। इसके लिए बकायदा प्रस्ताव पारित किया गया था। यानि इस गांव में अपनी ही एक सरकार चलती है, जो लोगों को शराब जैसी बुराई से बचाकर रखने का कार्य करती है।

 

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ग्राम पंचायत ने लिया शराबबंदी का फैसला

जबलपुर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बरगी विधानसभा के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत देवरी नवीन के पंचों एवं महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आपसी सौहार्द्र से 12 साल पूर्व एक ऐतिहासिक फैसला लिया था। ग्राम पंचायत की ओर से नशामुक्ति के लिए एक समिति गठित करते हुए ग्राम पंचायत में शराबबंदी करने का फैसला लिया। इस मामले को लेकर एक संकल्प पारित करते हुए गांव में बैठक हुई, जिसके बाद से पूरे गांव में शराबबंदी लागू कर दी गई।


इतना लगता है जुर्माना

गांव के मुखिया जय सिंह बरकड़े ने बताया कि, शराब हर विवाद की जड़ है। शराब से अच्छे-अच्छे घर बर्बाद हो गए और कई परिवार बिखर गए। ये नौबत कभी गांव में न आए इसके लिए गांव की पंचायत ने शराब बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी। इसे प्रभावी बनाए रखने के लिए दोषी व्यक्ति पर 10 हजार रुपए जुर्माना और शराब पीकर गाली-गलौज करने वाले पर 5 हजार रुपए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का फैसला लिया गया है। हैरानी की बात ये है कि, खेती और मजदूरी करने वाले गरीब आदिवासी परिवारों ने इतनी बड़ी रकम का जुर्माना लगाना स्वीकार भी कर लिया। ग्रामीण आदिवासी बीते 12 साल से लगातार शराबबंदी के नियम को परंपरा के तौर पर मानकर चल रहे हैं।

 

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गांव की महिलाओं के संकल्प से साकार हुई यहां शराबबंदी

बरकड़े के मुताबिक ग्राम पंचायत देवरी नवीन के साथ तिन्हेटा और बाड़ीबारा गांव में भी शराब पीने वाले व्यक्ति पर जुर्माने लगाने का नियम है। इस नियम को प्रभावी बनाया है इस गांव की महिलाओं ने। खासतौर पर तो शराबबंदी इस गांव की महिलाओं का ही संकल्प है। घर में शराब पीकर आने वाले शख्स के बारे में उसी के घर की महिलाएं आगे आकर खुद बताती हैं। इसके बाद शराब पीने या लेकर आने वाले शख्स से जुक्माना वसूलकर गांव के विकास, गरीब बच्चों की शादी और शिक्षा जैसे कार्यों पर खर्च कर दी जाती है।

 

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