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जबलपुर

लकड़ी के गट्ठे बन गए पेड़, सुदामा ने कृष्ण से चुराकर यहीं खाए थे चने

यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां कृष्ण के साथ सुदामा मौजूद है। यह मंदिर उनके बालसखा को समर्पित है।

जबलपुरAug 24, 2016 / 12:47 pm

Abha Sen

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श्रीकृष्ण का जन्म भी रोचक कथाओं से परिपूर्ण है जो हमें पुराणों में भी पढऩे मिलता है। शास्त्रों के अनुसार कृष्ण-सुदामा की दोस्ती उज्जैन में ही हुई थी। यहां से 31 किलोमीटर महिदपुर तहसील में नारायणधाम मंदिर स्थित है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां कृष्ण के साथ सुदामा मौजूद है। यह मंदिर उनके बालसखा को समर्पित है। यहां पर सुदामा ने कृष्ण से छिपाकर चने खाए थे। जिस पर गुरू मां ने इन्हें दरिद्रता का श्राप दे दिया था।


गुरू में ने भेजा लकडिय़ां लाने
मंदिर में दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार एक दिन गुरु माता ने श्रीकृष्ण व सुदामा को लकडिय़ां लाने के लिए भेजा। आश्रम लौटते समय तेज बारिश शुरू हो गई और श्रीकृष्ण-सुदामा ने एक स्थान पर रुक कर विश्राम किया। मान्यता है कि नारायण धाम वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण व सुदामा बारिश से बचने के लिए रुके थे। इस मंदिर में दोनों ओर स्थित हरे-भरे पेड़ों के बारे में कहा जाता हैं कि ये पेड़ उन्हीं लकडिय़ों के गट्ठर से फले-फूले हैं जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी।


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पेड़ों के रूप में आज भी मित्रता
श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का प्रमाण नारायण धाम मंदिर में स्थित पेड़ों के रूप में आज भी देखा जा सकता है। मंदिर प्रबंध समिति व प्रशासन के सहयोग से अब इस मंदिर को मित्र स्थल के रूप में नई पहचान दी जा रही है।

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