जबलपुर। भगवान शिव के आभूषण और भगवान विष्णु की शैया व आसन के रूप में हमारे धार्मिक ग्रंथों में नागदेवता को पूजनीय माना गया है। सनातन संस्कृति में नागपूजा का बहुत महत्व है। नागदेव केवल धार्मिक रूप से ही पूज्य नहीं हैं बल्कि वे हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानेजानेवाले कृषि और किसानों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं।
किसानों के बचते हैं करोड़ों रुपए
नागदेवता हमारे खेतों की रक्षा करते है,यह आदिकाल से माना जाता है। इसके पीछे बहुत तार्किक तथ्य है। दरअसल नाग या सांप फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जीव जंतुओं को खेतों से दूर रखते हैं। फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान कीड़ों-मकोड़ों और चूहों के कारण होता है और ऐसे जीव-जंतु नाग के डर से खेतों से दूर रहते हैं। सांपों या नागों का डर न हो तो खेतों में खड़ी फसल चूहे और कीड़े-मकोड़े चट कर जाएं। ऐसे जीव-जंतुओं से उपज की सुरक्षा के उपाय के रूप मेंं किसानों को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ेगी। इस तरह नाग किसानों के करोड़ों रुपए बचाते हैं और यही कारण है कि देशभर में किसान नागदेवता की पूजा करते हैं। किसान नागपंचमी के दिन किसी भी हाल में अपने खेतों में हल नहीं चलाते हैं।
राहू दोष होता है दूर
नवग्रहों में राहु को सर्प का मुख माना जाता है। जो राहू से पीडि़त हों या जिनकी राहू की महादशा चल रही हो उसे नागपंचमी के दिन शिव और नाग की पूजा जरूर करनी चाहिए। राहु-केतु की शांति के लिए सुबह स्नान कर भगवान शिव को जल, दूध, दही, घी से अभिषेक करें, उनके गले में लिपटे नाग की भी विधिपूर्वक पूजा करें। संभव हो तो चांदी या तांबे के नाग-नागिन बनवाकर शिवलिंग पर अर्पित करें, जस्ता के भी नाग बनवा सकते हैं।
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