ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार एक कथा ये कही जाती है कि जब भगवान गणेश और परशुराम जी के बीच युद्ध हुआ था, तब उनका एक दांत परशुराम जी ने फरसे से तोड़ दिया था। जिसके बाद उन्हें एकदंत नाम मिला। वहीं एक दांत न होने से वे कष्ट में रहे, कुछ भी खा नहीं पा रहे थे क्योंकि उन्हें चबाने में तकलीफ हो रही थी। तब माता पार्वती ने उन्हें मोदक बनाकर खिलाए, जो कि बहुत ही मुलायम होते हैं। मुंह में जाते ही ये पूरी तरह से घुल जाते हैं। भगवान गणेश को तभी मोदक बहुत प्रिय हैं।
एक ये भी मान्यता है कि मोदक को बनाने में शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोवा, गुड़, नारियल, शक्कर, आदि वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य माना गया है। मोदक गुणकारी होने के साथ संतुष्टिदायक भी होता है। यही वजह है कि भगवान गणेश को मोदक प्रिय है। मोदक के गुणकारी होने का प्रमाण पद्म पुराण के सृष्टि खंड में बताया गया है।