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जबलपुर

Krishna Janmashtami 2017 – जानें कृष्ण जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त और मान्यताएं

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का दूध, जल और घी से अभिषेक किया जाता है, भगवान को भोग चढ़ाया जाता है

जबलपुरAug 10, 2017 / 12:29 pm

Lalit kostha

Krishna Janmashtami, puja muhurt

Krishna Janmashtami 2017

जबलपुर। जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। हिन्दू कैलेंकर के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म श्रावण मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म और दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने से लेकर कई अन्य कथाएं हैं जो बेहद ही प्रसिद्ध हैं और जिन्हें आज भी पंसद किया जाता है।

निर्जल उपवास रखते हैं भक्त –
कृष्ण जन्माष्टमी के पूरा दिन भक्त निर्जल उपवास रखते हैं.। ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ खास बातों का ध्यान रखें.। अपनी सेहत के लिए जरूरी है कि एक दिन पहले खूब लि‍क्व‍िड लें और जन्माष्टमी से पिछली रात को हल्का भोजन करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त पूरी विधि-विधान के साथ उपवास करते हैं। वे जन्माष्टमी से एक दिन पहले सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं। व्रत वाले दिन सभी भक्त पूरे दिन का उपवास करने का संकल्प लेते हैं और अगले दिन अष्टमी तिथि खत्म होने के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का दूध, जल और घी से अभिषेक किया जाता है। भगवान को भोग चढ़ाया जाता है। व्रत वाले दिन भक्त अन्न का सेवन नहीं करते इसकी जगह फल और पानी लेते हैं जिसे फलाहार कहा जाता है।

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पूजा के दौरान जल, फल और फूल वगैरह लेकर इस मंत्र का जाप शुभ माना जाता है-

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
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व्रत-पूजन से जुड़ी मान्यताएं –
जन्माष्टमी के दिन अगर आप व्रत रखने वाले हैं या नहीं भी रखने वाले, तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। मन में ईश्वर के नाम का जाप करें।
– व्रत रखने के बाद पूरे दिन ईश्वर का नाम लेते हुए निर्जल व्रत का पालन करें। रात के समय सूर्य, सोम, यम, काल, ब्रह्मादि को प्रणाम करते हुए पूजा को शुरू करने की मान्यता है।
जन्माष्टमी के दिन पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को भी स्थापित किया जाता है। इस दिन उनके बाल रूप के चित्र को स्थापित करने की मान्यता है।
जन्माष्टमी के दिन बालगोपाल को झूला झुलाया जाता है।
– मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन बाल श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती देवकी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करना शुभ होता है।
जन्माष्टमी के दिन सभी मंदिर रात बारह बजे तक खुले होते हैं। बारह बजे के बाद कृष्ण जन्म होता है और इसी के साथ सब भक्त चरणामृत लेकर अपना व्रत खोलते हैं।

जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

स्मार्त संप्रदाय के अनुसार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाई जाएगी तो वहीं वैष्णव संप्रदाय 15 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएगा।

जन्माष्टमी 2017 : 14 अगस्त
निशिथ पूजा: 12:03 से 12:47
निशिथ चरण के मध्यरात्रि के क्षण है: 12:25 बजे
15 अगस्त पराण: शाम 5:39 के बाद
अष्टमी तिथि समाप्त: 5:39

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Krishna Janmashtami
IMAGE CREDIT: patrika

भगवान को चढ़ाया जाने वाला छप्पन भोग

जन्माष्टमी के मौके पर मंदिरों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। सूर्यास्त के बाद मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। वहीं जिन लोगों का व्रत होता है वह मध्यरात्रि के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं। जन्माष्टमी के अगले दिन को ‘नंद उत्सव’ के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान को 56 तरह के खाद्य पदार्थ चढ़ाएं जाते हैं जिसे छप्पन भोग कहा जाता है। भगवान को भोग लगने के बाद इसे सभी लोगों में बांटा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि छप्पन भोग में वही व्यंजन होते हैं जो भगवान श्री कृष्ण को पंसद थे।

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आमतौर पर इसमें अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी चीजें शामिल होती हैं। इसमें भी भिन्नता होती हैं कई लोग 16 प्रकार की नमकीन, 20 प्रकार की मिठाईयां और 20 प्रकार ड्राई फ्रूट्स चढ़ाते हैं। सामन्य तौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर और रसगुल्ला, जलेबी, जीरा लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चिला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता और इलाइची होते हैं।

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