जबलपुर। बाघी फिल्म में रोमांचित और रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्शन देखकर लोग उस कला के बारे में जानना चाहते हैं जो इसमें दिखाई गई है। पहली बार देखने पर ये चाइनीज फिल्मों में दिखाई जाने वाली फाइट की तरह ही लगता है। जिससे दर्शक इसे चायना का ही आर्ट समझ लेते हैं, लेकि न यहां आज हम आपको इस कला के बारे में कुछ खास रहस्यों के बताने जा रहे हैं। जिन्हें वास्तव में फिल्म के एक्शन मेंटोर मास्टर शीफूजी शौर्य भारद्वाज के जरिए ही जानने का अवसर मिला।
फिल्मों में अक्सर ही हीरो को उड़ते हुए दिखाए जाता है, लेकिन यहां हम आपको बता दें कि यदि बाघी में आप टाइगर या उनके रील और रीयल लाइफ गुरू मास्टर शीफूजी को उड़ता हुआ देखें तो आश्चर्य मत करिए, क्योंकि ये सीन पूरी तरह से असली हैं। दरअसल, इस कला को कलरीयापयट्टू के नाम से जाना जाता है। जो कि भारत का ही आर्ट है।
यह भारत की सबसे प्राचीन युद्ध कला है। संभवत: सबसे पुरानी अस्तित्ववान युद्ध पद्धतियों में से एक ये केरल में और तमिलनाडु व कनार्टक से सटे भागों के साथ ही पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच प्रचलित है। इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल की योद्धा जातियों जैसे नायर एर्हावा द्वारा किया जाता था।
जबलपुर निवासी मास्टर शीफूजी बताते हैं कि यह भारत की ही कला है जिसे बाद में चायना में विकसित किया गया। ये सेल्फ कॉन्फीडेंस और सेल्फ बिलीव करना सिखाता है। कहीं भी पर भी लड़ाई झगड़ा नहीं लिखा हुआ है। ये हमारे लिए गर्व करने वाली बात है।
कलारी पयट के कुछ युद्ध अभ्यासों को नृत्य में उपयोग किया जा सकता है और वो कथकली नर्तक जो युद्ध कला को जानते थे, वे स्पष्ट रूप से अन्य दूसरे कलाकारों की तुलना में बेहतर थे। कुछ पारंपरिक भारतीय नृत्य स्कूल अभी भी कलारी पयट को अपने व्यायाम नियम के हिस्से के रूप में शामिल करते हैं।
Hindi News / Jabalpur / ये है वह असली कला, जिससे फिल्म में उड़ते हुए दिख रहे हैं ‘टाइगर-श्रद्धा’