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जबलपुर

देश में सबसे पहले यहां शुरू हुई इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई

75 साल से देश के नामी पदों पर आज भी हैं यहां के इंजीनियरिंग छात्र
 

जबलपुरJul 06, 2021 / 10:05 am

Lalit kostha

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Engineering study

जबलपुर। जबलपुर इंजीनियरिंग संस्थान मध्य भारत का सबसे पुराने तकनीकी शिक्षण संस्थानों में एक है। कॉलेज की स्थापना सात जुलाई 1947 को हुई थी। उस समय प्राचार्य एसपी चक्रवर्ती थे। उस समय मुम्बई व बनारस के बीच सिर्फ यही एक इंजीनियरिंग कॉलेज था। यह एकमात्र कॉलेज था जो इलेक्ट्रानिक्स व टेलीकम्यूनिकेशन की डिग्री प्रदान करता था। इस कॉलेज ने कई प्रतिभावान छात्र दिए हैं। उन्होंने देश-दुनिया में प्रतिभा का लौहा मनवाकर जबलपुर को गौरवान्वित किया है।

जेईसी से पढकऱ निकलीं कई शख्सियतें
स्थापना दिवस पर सात जुलाई को कार्यक्रम में शामिल होंगे सीएम

पद्मभूषण अजय से लेकर ब्रह्मोस के सीईओ यहीं के
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्रों में एचसीएल के संस्थापक पद्म भूषण डॉ. अजय चौधरी, ब्रह्मोस के सीईओ डॉ. सुधीर मिश्रा से लेकर पूर्व संघ चालक पी सुदर्शन शामिल हैं। इसके अलावा जदयू नेता शरद यादव, पूर्व मेयर विश्वनाथ दुबे, ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड से सेवानिवृत्त चेयरमैन सुनील चौरसिया, फिल्म कलाकार शरत सक्सेना, प्रफुल्ल श्रीवास्तव, प्रशांत पोल, सुनील तिवारी, मंजीत सिंह, संजीव काले, डीसी जैन, सीवी भावे, अनुपम श्रीवास्तव जैसे कई नामों की लम्बी फेहरिस्त है।

जेईसी की स्थापना के 75 वर्ष होने के अवसर पर सात जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे। इसके पूर्व मुख्यमंत्री के उपसचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम निरीक्षण करने पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कॉलेज प्रशासन ने उनके साथ तैयारी पर चर्चा की। मरकाम खुद जेईसी के भूतपूर्व छात्र रहे हैं। मरकाम जबलपुर के मॉडल हाई स्कूल व सरस्वती शिशु मंदिर गंगानगर के पूर्व छात्र भी रहे हैं। चर्चा के दौरान जेईसी के प्राचार्य डॉ. एके शर्मा, प्रो. आरके भाटिया, डॉ. प्रशांत जैन, पूर्व छात्र तरुण आनंद, वीरेंद्र साहू, मनीष अग्रवाल, विवेक चौधरी, चंद्रशेखर पटेल, प्रशांत दत्ता आदि उपस्थित थे।

जानकारों के अनुसार जेईसी भारत का पहला संस्थान है, जिसने देश में इलेक्ट्रानिक्स और दूरसंंचार अभियांत्रिकी की शिक्षा शुरू की। इसे भारत में बिट्रिश द्वारा स्थापित अंतिम शैक्षिक संस्थान भी कहा जाता है। यह भारत का 15वां सबसे पुराना अभियांत्रिकी संस्थान भी है।

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