जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ में विवेक तन्खा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने दलील दी कि अधिवक्ता पर नेताओं की ओर से लांछन लगाना अनुचित है। पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामला पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव में ओबीसी के आरक्षण से जुड़ा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी और राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी थी। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का आरोप है कि उस केस में उनकी भूमिका नहीं थी।
लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब केंद्रीय कृषि मंत्री) शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने उन पर कई राजनीति प्रेरित आरोप लगाए थे। इससे आहत होकर एमपी-एमएलए कोर्ट में तीनों नेताओं पर आपराधिक मानहानि का केस किया। तीनों नेता जमानती वारंट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे।
तन्खा बोले-अधिवक्ता के तौर पर किया केस
शनिवार को सुनवाई के बाद तन्खा ने कहा कि उन्होंने यह केस अधिवक्ता के तौर पर दायर किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, हम जो वकील हैं, कोर्ट में कर्तव्य निभाते हैं, बहस करते हैं और कोर्ट के बाहर लांछन लगे जो कि लगाने वाले को भी पता हो कि वह अनुचित और गलत हैं तो, यह समाज के लिए खतरनाक है।
‘मैं सुनवाई से संतुष्ट, नजीर पेश करेगी अदालत’
सुनवाई के बाद तन्खा ने कहा, ‘मैं आज की सुनवाई से काफी संतुष्ट हूं। मुझे उम्मीद है कि अदालत इस मामले में एक मजबूत नजीर पेश करेगी, ताकि भविष्य में कोई नेता इस तरह की बयानबाजी न कर सके।’
शिवराज सिंह चौहान ने तन्खा पर लगाया था आरोप
बता दें कि शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने विवेक तन्खा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जानबूझकर ओबीसी आरक्षण के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं, ताकि चुनावों में देरी हो। वहीं इससे ओबीसी वर्ग के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचे। उन्होंने तन्खा पर यह आरोप भी लगाया कि वो कांग्रेस के समर्थन से ओबीसी आरक्षण को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
आरोपों को बताया झूठा और अपमानजनक
विवेक तन्खा ने इन आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताया। उनका कहना था कि उन्होंने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाया है, बल्कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार ओबीसी के सही डेटा के आधार पर आरक्षण देने की मांग की थी। तन्खा ने यह भी कहा कि नेताओं ने जो आरोप उन पर लगाए हैं वो, गलत और बिना आधार के थे, जिससे उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।
जानें पूरा मामला?
दरअसल, मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण पर विवाद खड़ा हुआ, तो इस मामले में विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिकाएं दायर की थीं। विवेक तन्खा ने इन याचिकाओं में कहा कि ओबीसी आरक्षण लागू करने से पहले आंकड़ों का सही आकलन और अध्ययन किया जाना चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया था। तन्खा के इस कदम को राज्य सरकार और बीजेपी के नेताओं ने चुनावों में देरी कराने के प्रयास के रूप में देखा और इसका राजनीतिकरण किया।
10 करोड़ की आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर
इन्हीं आरोपों के आधार पर विवेक तन्खा ने शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपए की आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उनका कहना था कि इन नेताओं ने उन पर गलत आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, खासकर एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में।