balancing rock- एमपी के इस शहर से गायब हो गया दुनिया में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, हर साल आते है हजारों सैलानी
मदन महल की पहाडिय़ों को अतिक्रमणमुक्त न कर पाने पर हाईकोर्ट ने जतायी नाराजगी, संभागायुक्त को एक्शन प्लान पेश करने के निर्देश
famous tourist destination in the world has disappeared from this city
जबलपुर। संगमरमरीवादियों के लिए प्रसिद्ध शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल गायब हो गया है। बात हो रही है दुनिया के सबसे छोटे किले के रूप में गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड में जगह बनाने वाले मदनमहल किले के पास मौजूद बैलेंसिंग रॉक की। जिसे अस्तित्व पर लगातार मदनमहल पहाड़ी पर बढ़ रहे अतिक्रमणों से खतरा बढ़ गया है। इतने अतिक्रमणों का दायरा इतना फैल चुका है कि इन्हें रोकने में प्रशासन के नाकाम रहने पर हाईकोर्ट ने भी सोमवार को चिंता जताई है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करके तल्ख लहजे में कहा कि इन अतिक्रमणों के कारण ऐतिहासिक बैलेंसिंग रॉक गायब सा हो गया है।
दबंगों ने कर लिया चारों तरफ कब्जा
मदन महल पहाडिय़ों पर फैले अतिक्रमणों के खिलाफ यह जनहित याचिका गढ़ा गोंड़वाना संरक्षक संघ के किशोरीलाल भलावी व 4 अन्य की ओर से वर्ष 2012 में दायर की गई थी। उल्लेखनीय है कि इस पहाड़ी पर ही प्रसिद्ध बैलेंसिंग रॉक स्थित है। भूकंप के झटके और कई त्रासदी झेलने के बाद बाद भी दो रॉक जबरदस्त तरीके से अपना बैलेंस बनाए हुए है। इस अद्भुत रॉक को देखने के लिए प्रतिवर्ष हजारों सैलानी आते है। याचिका में आरोप है कि मदन महल के ऐतिहासिक किले के आसपास की करीब 306 हैक्टेयर भूमि पर दबंगों ने अतिक्रमण कर अवैध तरीके से कॉलोनियों व शिक्षण संस्थानों का निर्माण कर लिया है।
भूमि संरक्षित करने के आदेश की अनदेखी
आवेदकों के अनुसार समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर वर्ष 1995 में हाईकोर्ट ने किले व उसके आसपास की भूमि को संरक्षित किये जाने के निर्देश पुरातत्व विभाग व मप्र शासन को दिये थे। इस जमीन को पर्यटन के लिए विकसित करने भी कहा गया था। इसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि धीरे-धीरे वहां पर अतिक्रमणकारियों के कब्जे लगातार बढ़ते गए। इन मामलों पर पूर्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्था की ओर से कहा गया था कि इस धरोहर को संरक्षित करने के लिये एक प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर व निगमायुक्त को आदेशित किया था कि स्थानीय व निगम कानून के तहत कार्यवाही करते हुए अतिक्रमणकारियों को हटाकर स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए।
एक्शन प्लान बनाने के निर्देश
याचिका पर सुनवाई में सोमवार को राज्य सरकार और अनावेदक पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, पिसनहारी की मढिय़ा की ओर से भी अधिवक्ता हाजिर हुए। सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पहाडिय़ों को अतिक्रमणमुक्त न करने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी कई विभागों पर है, लेकिन समन्वय की कमी के कारण कार्रवाई कुछ नहीं हो पा रही है। पहाड़ी को अतिक्रमणमुक्त करने में समन्वय की कमी को गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने संभागायुक्त को कहा है कि वे दो सप्ताह के अंदर सभी विभागों और उनके संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाएं। पहाडिय़ों को अतिक्रमणमुक्त करने का एक्शन प्लान बनाएं और अगली पेशी पर पेश करें। इस निर्देश के साथ युगलपीठ ने सुनवाई 11 अक्टूबर तक के लिए मुल्तवी कर दी।
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