Depression : खेलना-कूदना, शरारत करना बच्चों के लिए सामान्य-सी बात है, लेकिन इससे इतर कुछ बच्चे गुमसुम रहते हैं। जानकारों के अनुसार ऐसा बच्चों की परवरिश में गड़बड़ी के कारण हो रहा है। दरअसल, अभिभावकों का बच्चे के लिए आवश्यकता से ज्यादा संवेदनशील होना और उसके भविष्य के बारे में जरूरत से ज्यादा चिंता बच्चों के साथ आपको भी परेशानी में डाल सकता है।
Depression : डॉक्टरों के पास पहुंचे कई मामले, बना रही गुमसुम, अभिभावक भी परेशान
कई मामलों में डिप्रेशन और अन्य बीमारियां भी आपको घेर सकती हैं। यह समस्या उन अभिभावकों के साथ अधिक सामने आ रही है, जिनका एक ही बेटा या एक ही बेटी है। इकलौते बच्चे होने के कारण बच्चा थोड़ा भी बीमार हो जाए, तो अलग-अलग तरह के याल आते है। मेडिकल अस्पताल समेत शहर के निजी अस्पताल और डॉक्टर्स के पास ऐसे मामले लगातार पहुंच रहे हैं। ऐसे अभिभावकों की डॉक्टर्स द्वारा काउंसलिंग भी की जा रही है।
Depression : केस-01 आठ साल का इकलौता बेटा बीमार हुआ। माता-पिता उसे डॉक्टर के पास ले गए। दवा का कोर्स पूरा करने से पहले ही कई डॉक्टर बदल दिए। टेस्ट कराया। सभी ने रिपोर्ट को सामान्य बताया गया।
Depression : केस-02 नौ साल का बेटी को वायरल हुआ। डॉक्टर ने दवाएं दीं, लेकिन बुखार नहीं उतरा। मां घबरा गई। हर रोज मां डॉक्टर के पास बच्चे को ले गई। रोज दवाएं बदलने का अनुरोध किया। अलग-अलग तरह के टेस्ट करा डाले।
मानसिक रूप से खतरनाक डॉक्टर्स की माने तो सभी पैरेन्ट्स अपने बच्चों की केयरिंग करते हैं, लेकिन ओवर थिंकिंग और ओवर केयरिंग बच्चे का आत्मविश्वास कम करती है। यदि यह लगातार चलता रहा, तो अभिभावक भी डिप्रेशन में जा सकते हैं।
जिन माता-पिता के एक ही बच्चे हैं, ऐसे माता-पिता बच्चों के प्रति बहुत ही केयरिंग हो जाते हैं। बच्चे को थोड़ी सी परेशानी हो या बीमार हो, तो माता-पिता इस बात से काफी डर जाते हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
डॉ. नीतू यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ
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