इधर, प्रदेश में भी अस्पतालों की तैयारियों को परखा गया। सोमवार को हुए मॉक ड्रिल में यहां कुछ जगहों पर तो व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आईं, लेकिन कई जगहों पर दावों की पोल भी खुल गई। प्रदेश के चारों बड़े शहरों मेें भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में तो व्यवस्थाएं ठीक रहीं, लेकिन जबलपुर में लापरवाही सामने आई। सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि जो कमियां हैं, उन्हें बेहतर बना लिया जाएगा। इसी तरह बुरहानपुर जिला अस्पताल सतना में भी अफरा-तफरी की स्थिति बनी। अब यहां विशेष ध्यान देना होगा।
जबलपुर: ऑक्सीजन मास्क तक सही से नहीं लगा सके…
जबलपुर के जिला अस्पताल में तमाम तरह की खामियां नजर आईं। नकली मरीज के आने पर उसे वार्ड में किस तरह ले जाना है, यह तक स्टाफ को नहीं पता था। मरीज को वार्ड में ले जाने में भी काफी देरी हुई। यही नहीं रास्ते में मरीज का मास्क तीन बार खुल गया। इसके साथ ही यहां और भी अव्यवस्थाएं नजर आईं।
जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों और इलाज की स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार को मॉक ड्रिल हुई। इसमें कई तरह की खामियां सामने आई। मरीज को वार्ड में ले जाने में देर हुई। उसे जो ऑक्सीजन मास्क लगाया गया था, वह वार्ड में ले जाने के दौरान कई बार निकल गया। विभाग का कहना है कि मॉक ड्रिल के दौरान कुछ छोटी कमियां मिली हैं उन्हें ठीक किया जाएगा।
जिला अस्पताल में मॉक ड्रिल के तहत अस्पताल में मरीज के आने पर उसे वार्ड तक शिफ्ट करने की प्रक्रिया जांची गई। अस्पताल के स्टफ को मरीज बनाकर लाया गया। ऑकस्मिक चिकित्सा विभाग में डॉक्टर्स व टेक्निकल स्टाफ मास्क लगाए हुए थे। एम्बुलेंस से उतार कर मरीज को ऑक्सीजन मास्क लगाया जो बार-बार उतर रहा था। एक कर्मचारी मास्क पकड़ा रहा। मरीज को किस वार्ड में ले जाना है आईसीयू या सामान्य वार्ड यह तय नहीं हो सका। मरीज को एम्बुलेंस से वार्ड तक ले जाने में 10 मिनट का समय लग गया। अस्पताल के आईसीयू में व्यवस्थाएं ठीक थीं। यहां ऑक्सीजन पाइप लाइन से सप्लाई हो रही थी। वेंटीलेटर काम कर रहे थे। मरीजों को दी जाने वाली दवाओं का पर्याप्त स्टॉक था।