scriptTaste of Jabalpur : ठंड में जबलपुरी मटर का जायका, उपवास में सिंघाड़ा की देशभर में मांग | Taste of Jabalpur: Demand for Jabalpuri peas, water chestnuts across the country | Patrika News
जबलपुर

Taste of Jabalpur : ठंड में जबलपुरी मटर का जायका, उपवास में सिंघाड़ा की देशभर में मांग

जबलपुर में मटर और सिंघाड़े की खेती की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, यह दोनों फसलें जिले के किसानों के लिए भी एक स्थिर और लाभकारी आय का स्रोत बन चुकी हैं।

जबलपुरDec 26, 2024 / 12:05 pm

Lalit kostha

Taste of Jabalpur : ठंड में हरा मटर हो अथवा उपवास में सिंघाड़ा, जबलपुर की चर्चा के बिना अधूरा है। जबलपुर के दोनों उत्पादों की देश भर में मांग हैं। जिला अब कृषि क्षेत्र में मटर और सिंघाड़े के उत्पादन का हब बन कर उभर रहा है। मटर और सिंघाड़े का प्रचुर मात्रा में हो रहे उत्पादन से जहां किसान लाभांवित हो रहे हैं वहीं बढ़ते उत्पादन ने पैकेजिंग कंपनियों का ध्यान भी खींचा है। पिछले कुछ वर्षों में मटर प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना में तेजी आई है। इससे हजारो लोगों को रोजगार मिल रहा है। जबलपुर में मटर और सिंघाड़े की खेती की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, यह दोनों फसलें जिले के किसानों के लिए भी एक स्थिर और लाभकारी आय का स्रोत बन चुकी हैं।
Taste of Jabalpur

Taste of Jabalpur : जिले में तेजी से बढ़ रहा रकबा

जिले में मटर की खेती का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में मटर का रकबा 40,000 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। मटर का उत्पादन बढकर 10 लाख क्विंटल तक पहुंच चुका है, जो यह बता रहा है कि कृषि उत्पादन में शहर का एक महत्वपूर्ण योगदान है। किसानों को आय के नए स्रोत भी मिल रहे हैं। मटर की खेती व्यवसाय में 2,000 से अधिक किसान सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसके अलावा, मटर की पैकिंग, परिवहन, विपणन व अन्य गतिविधियों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 8-10 हजार लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
Taste of Jabalpur
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Taste of Jabalpur : सिंघाड़े में भी नहीं शहर पीछे

सिंघाड़े की खेती में भी यह शहर पीछे नही है। जबलपुर जिले में 30 हजार हेक्टेयर में सिंगाड़े की खेती की जा रही है। सिंघाड़ा एक तरह से जलवायु आधारित फसल है, जिसे जलाशयों और नदियों के किनारे उगाया जाता है। जबलपुर पहले ही तालाबों की नगरी रहा है। यही वजह है कि इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और जल स्रोतों की प्रचुरता शहर में मौजूद है। जिसके कारण सिंघाड़े का उत्पादन भी अब बढऩे लगा है, जो जिले के किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन चुका है। सिहोरा की सिंघाड़ा मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियो में से एक है।
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Green peas

Taste of Jabalpur : उत्तरांचल से आई कंपनियां

मटर का उत्पादन बढने और इसकी किसानो, कृषि सलाहकार, प्रशासन आदि द्वारा ब्रांडिग किए जाने का असर यह हुआ कि जबलपुर का मटर ग्लोबल स्तर पर छा गया। एक दशक पूर्व तक जहां मटर को प्रोसेस के लिए जिले से बाहर भेजा जाता था अब इसकी प्रोसेसिंग शहर में होने लगी। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड से व्यापरियों द्वारा शहर में प्रोसेसिंग यूनिट डाली गई हैं। जिले में 8 से 9 यूनिट वर्तमान में संचालित हो रही है। इससे 90 फीसदी मटर अब शहर में ही खपने लगा है।
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Taste of Jabalpur : मिठास है खासियत

जबलपुर के मटर की सबसे बडी खासियत इसकी उच्च गुणवत्ता होने के साथ प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाले पोषक तत्व हैं। उपजाउ भूमि होने के कारण जबलपुर के मटर में विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन डी, विटामिन सी से भरपूर हैं। इसमें कोलीन, राइबोलेविन जैसे यौगिक भी होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं तो वहीं दानो में मिठास होती है। यह मिठास और क्वॉलिटी कहीं और देखने को नहीं मिलती यही कारण है यह देशभर में तेजी से पहचान बना रहा है।
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green matar

Taste of Jabalpur : हर साल हो मटर महोत्सव

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मटर की बढ़ती खपत और मांग को देखते हुए सरकार और प्रशासन को चाहिए कि मटर महोत्सव का आयोजन हर साल किया जाए। इस महोत्सव में किसान, व्यापारी, प्रोसेसिंग यूनिट संचालक, वैज्ञानिक, सलाहकार के साथ, जनप्रतिनिधियों और फूड कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किए जाए। इससे शहर के मटर को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा और प्रोसिंग यूनिट में वृद्धि होने के साथ ही शहर प्रोसेसिंग हब के रूप में तैयार हो सकेगा।

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