कोरोना काल से अब है उबारने का समय
कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को गति दी जाए। इस बार के बजट में आम आदमी की अपेक्षाएं ज्यादा हैं। करों में परिवर्तन मुश्किल है। असंगठित क्षेत्र के विकास के लिए विशेष प्रयास हो सकता है।
प्रो. शैलेष चौबे, अर्थशास्त्री
खेलों का बजट कम होता है। सरकार से उम्मीद है कि बजट में इसकी सीमा बढ़ाएगी। खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय ओलम्पिक संघों को भी अलग से बजट मिलने की उम्मीद है।
दिग्विजय सिंह, सचिव मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ
सरकारी कर्मचारी ईमानदारी से आयकर चुकाता है। उसकी आय का आंकड़ा सरकार के पास होता है। स्लैब पांच की जगह 7 लाख किया जाए। डिफेंस के उत्पादों को जीएसटी से मुक्त किया जाए।
एसएन पाठक, राष्ट्रीय अध्यक्ष एआइडीईएफ
सोना और चांदी के जेवर भले लग्जरी वस्तुएं हों, लेकिन कई बार जरूरत भी होती हैं। इसलिए इसकी एक्साइज कम हो। नकद जेवर की खरीदी की सीमा 10 लाख रुपए तक की जानी चाहिए।
अनूप अग्रवाल, मंत्री जबलपुर सराफा एसोसिएशन
उद्योग और व्यवसाय की हालत ठीक नहीं है। लोगों के हाथों में भी पैसा नहीं है। मुद्रा की तरलता के लिए करमुक्त आय का दायरा बढ़े। पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज घटाया जाना चाहिए।
हिमांशु खरे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
इस बजट को शताब्दी का सबसे अच्छा बजट कहा जा रहा है। ऐसा है तो स्वागत योग्य है। आम आदमी राहत चाहता है। कोरोना ने उसे बहुत कष्ट दिया है। हर क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।
प्रेम दुबे, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एसौचेम
कोरोना के कारण उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र एक पैर पर खड़ा है। अब नए टैक्स सहन नहीं हो पाएगा। एमएसएमई क्षेत्र को आगे बढ़ाने की योजना सरकार को बजट में लानी चाहिए।
रवि गुप्ता, अध्यक्ष महाकोशल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
औद्योगिक विकास के लिए विशेष पैकेज की उम्मीद सरकार से की जा रही है। इसी प्रकार नए इंडस्ट्री एरिया तथा आइटी पार्क बनाने के लिए भी निश्चित बजट सरकार को देना चाहिए। इससे विकास में तेजी आएगी।
डीआर जेसवानी, अध्यक्ष महाकोशल उद्योग संघ