मप्र सरकार के इस अभिनव पहल से माता-पिता बहुत खुश है। अब बच्चों के कंधों पर भारी भरकम बैग का बोझ नहीं रहेगा। पिछले दशकों से सालों से सरकारी और निजी स्कूलों में कक्षा 1-2 के बच्चों पर भारी बस्तों का बोझ लादा जा रहा है। पढ़ाई के नाम पर निजी स्कूलों ने तो बच्चों का बचपन ही छीन लिया है।
बाल अधिकार आयोग के निर्देश के बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी कर अन्तत: बच्चों के कंधों से वजनदार स्कूल बैग का बोझ खत्म कर दिया है। एक सप्ताह पहले जारी हुआ यह आदेश जिला शिक्षा अधिकारी को मिल गया है। देशबंधु प्राइमरी शाला की प्रभारी हेड मास्टर पुष्पा सोनी ने बताया कि राज्य शिक्षा केंद्र से आदेश मिलने के बाद शालाओं में इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। हमारे बच्चे केवल टिफिन और पानी की बोतल बैग या झोले में लेकर आ रही है। हम इनको होमवर्क भी नहीं दे रहे हैं।
बच्चों पर होमवर्क का भार कम
सूरजगंज संकुल के प्राचार्य अखिलेश शुक्ला ने बताया कि हमने आदेश लागू कर दिया है। मेरे संकुल के सभी एक दर्जन प्राइमरी शालाओं में कक्षा 1-2 के बच्चे बैगलेस हो गए, वही कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों पर होमवर्क का भार कम कर दिया गया है। इनको कक्षा में ही सरल प्रकार का होमवर्क दिया जा रहा है। इन पर भी बस्ते का बोझ कम कर कर रहे हैं। इन बच्चों को स्कूल में किताबें देकर पढ़ाई जा रही है। छुट्टी होने पर इसे ये वापस रखकर घर जाते हैं। वही कक्षा 3 से 5 के बच्चों के लिए भी होमवर्क का भार कम किया गया है।
-कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को कोई होमवर्क नहीं।
-कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के बच्चों को हफ्ते में अधिकतम 2 घंटे का होमवर्क।
-कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चों को प्रतिदिन अधिकतम 1 घंटे का होमवर्क।
-कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चों को प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटे का होमवर्क।
स्कूल बैग पॉलिसी को लेकर आदेश जारी कर दिया है कि कक्षा 1-2 के बच्चे बिना बैग के ही स्कूल आए। इसके साथ ही कक्षा 3 से 12 के बच्चों के लिए होमवर्क का भार कम कर दिया गया है।
-एसपी बिसेन, जिला शिक्षा अधिकारी, नर्मदापुरम।